जन्मदिन पर रक्तदान कर मानवता की सेवा का दिया संदेश…

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– रक्तदान की भ्रांतियों को दूर करने के लिए अब तक 118 बार कर चुके हैं रक्तदान

रायपुर, 3 जून 2022, मौत के मुहाने पर खड़े मरीज को एक युनिट खून ऩई जिंदगी दे सकता है। तभी तो रक्तदान को महादान कहा गया है। इसी परिकल्पना को साकार करते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉ. अरविंद नेरल ,प्रोफेसर एवं एचओडी पैथोलॉजी डिपार्टमेंट ने अपने 62 वें जन्मदिन के मौके पर रक्तदान कर मानवता की सेवा में योगदान दिया। आज 118 वीं बार रक्तदान करते हुए उन्होंने कहा: “मेडिकल साइंस 65 वर्ष की उम्र तक रक्तदान करने को मान्य करता है, मेरे पास अभी भी 3 वर्ष शेष हैं। तब तक कई बार रक्तदान कर सकता हूं।“

रक्तदान के संबंध में डॉ. नेरल ने बताया: “हर दिन दर्जनों ऐसे मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, जिनमें खून की कमी होती है। थैलेसिमिया या सिकल सेल के मरीजों के लिए तो रक्त की जरूरत हमेशा होती है। कई बार अस्पताल में घायल मरीज पहुंचते हैं, जिन्हें खून की जरूरत होती है। रक्तदान कर ऐसे में लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।“ उन्होंने आगे बताया “रक्तदान को लेकर समाज में पहले के मुकाबले थोड़ी जागरूकता जरूर आई है, मगर अब भी लोग रक्तदान करने से डरते हैं। यहां तक कि युवा पीढ़ी भी रक्तदान करने से हिचकिचाती है। “युवा पीढ़ी के मन से रक्तदान को लेकर डर और भ्रांतियों को खत्म करना और उन्हें रक्तदान के लिए प्रेरित करना ही मेरा मकसद है, मरते दम तक लोगों को प्रोत्साहित करता रहूंगा। डॉ नेरल ने बताया “

मरीज को बचाने पहली बार किया रक्तदान – डॉ. नेरल जब मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे थे तो दिन और रात की ड्यूटी लगती थी। ड्यूटी के दौरान गंभीर और आपातकालीन सेवा में भी मरीजों को देखना पड़ता था। उसी दौरान एक मरीज को रक्त की जरूरत थी, तब उन्होंने पहली बार रक्तदान किया, जिससे मरीज की जान बची। तभी उनके मन में यह बात आई कि रक्तदान से जिंदगी बचाई जा सकती है और तभी से वह नियमित रक्तदान करने लगे। उन्हें देखकर उनके साथ में इंटर्नशिप करने वाले कई डॉक्टरों ने भी रक्तदान करना शुरू किया।

डॉ. नेरल ने रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ‘तुम मुझे खून दो; शीर्षक से 80 पेज की किताब भी लिखी है, जिसमें रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।

परिवार में भी रक्तदाता – रक्तदान को जिंदगी का हिस्सा बना लेने वाले डॉ. अरविंद नेरल के परिवार में उनकी पत्नी 26 बार रक्तदान कर चुकी हैं। हालांकि रक्तदान करना वह चाहती हैं, मगर मधुमेह पीड़ित होने की वजह से वह रक्तदान नहीं कर पा रही हैं। उनके 26 वर्षीय पुत्र ने 16 बार तथा 30 वर्षीय पुत्री ने 25 बार रक्तदान किया है।

रक्तदान कर सकते हैं – रक्तदान हर स्वस्थ्य व्यक्ति (महिला- पुरूष) जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक और 65 वर्ष तक हो, व्यक्ति का हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर हो और वजन 45 किलोग्राम या अधिक हो, सालभर में तीन बार (महिला चार माह के अंतराल में ) रक्तदान कर सकता है। वहीं मधुमेह या अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति रक्तदान नहीं कर सकता है।

रक्तदान करने से नहीं होती खून की कमीं- रक्तदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार लोग यह सोचते हैं कि रक्तदान करने से खून की कमीं हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। हर तीन से चार माह के अंतराल में रक्तदान करने से रक्तविकार भी नहीं होता और शरीर भी स्वस्थ्य रहता है।

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