raipur@khabarwala.news
रायपुर 18 जुलाई 2022 :मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर राज्य के गौठानों में गौ-मूत्र की खरीदी की तैयारी शुरू कर दी गई है। प्रथम चरण में इसकी शुरूआत 28 जुलाई हरेली तिहार से प्रत्येक जिले के दो स्वावलंबी गौठानों से की जाएगी। गौठानों में क्रय गौ-मूत्र से महिला स्व-सहायता समूह की मदद से जीवामृत एवं कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इसको लेकर चयनित समूहों को पशुचिकित्सा विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. अय्याज तम्बोली ने सभी कलेक्टरों को गौठानों में गौ-मूत्र की खरीदी को लेकर सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि गौ-मूत्र का क्रय गौठान प्रबंधन समिति स्वयं के बैंक खातों में उपलब्ध गोधन न्याय योजना अंतर्गत प्राप्तियां, चक्रीय निधि ब्याज की राशि से करेगी। उन्होंने कलेक्टरों में अपने-अपने जिले में दो स्वावलंबी गौठानों, स्व-सहायता समूह का चयन करने के साथ ही गौठान प्रबंध समिति तथा स्व-सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण देने के साथ ही गौ-मूत्र परीक्षण संबंधी किट एवं उत्पाद भण्डारण हेतु आवश्यक अधोसंरचना की व्यवस्था करने को कहा है। कलेक्टरों को चयनित गोठान एवं स्व-सहायता समूह की सूची ई-मेल dirvet.cg@gmail.com पर उपलब्ध कराने को कहा गया है।
गौरतलब है कि दो साल पहले 20 जुलाई 2020 को राज्य में हरेली पर्व के दिन से ही गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर की खरीदी की शुरूआत हुई थी। गोबर से गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर प्लस कम्पोस्ट महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार किए जा रहे है। इसके चलते राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। गौ-मूत्र की खरीदी राज्य में जैविक खेती के प्रयासों को और आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी। इसी को ध्यान में रखकर गौ-मूत्र की खरीदी शुरू की जा रही है। इससे पशुपालकों को अब पशुधन के गौ-मूत्र को बेचने से जहां एक ओर अतिरिक्त लाभ होगा, वहीं दूसरी ओर महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से जीवामृत, गौ-मूत्र की कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इसका उपयोग किसान भाई रासायनिक कीटनाशक के बदले कर सकेंगे, जिससे कृषि में कास्ट लागत कम होगी और उत्पादित खाद्यान्न की विषाक्तता में कमी आएगी। गोधन न्याय योजना राज्य के ग्रामीण अंचल में बेहद लोकप्रिय योजना साबित हुई है, इसके जरिए गोबर विक्रेताओं को अतिरिक्त लाभ होने के साथ-साथ महिला समूहों को गोबर से कम्पोस्ट खाद एवं अन्य उत्पाद तैयार करने से आय एवं रोजगार का जरिया मिला है।