नशे का सेवन छोड़कर जी रहे स्वस्थ जीवन…

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 (अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस पर विशेष)

रायपुर 25 जून 2022, नशे से ना सिर्फ शरीर को नुकसान होता है, बल्कि घर-परिवार और समाज से भी नाता टूट सा जाता है। हकीकत यह है कि इस आदत से आजाद होना मुश्किल तो है, लेकिन नामुमकिन नहीं है। अगर सही तरीके से कोशिश की जाए और परिवारवालों का साथ भी मिले तो यह मुश्किल भी आसान हो जाती है, यह कहना है अभिजीत कुमार का। “संगी मितान सेवा संस्थान नशा मुक्ति केन्द्र” के माध्यम से इनकी तरह कई ऐसे लोगों ने नशे का सेवन छोड़कर स्वस्थ और सामान्य जिंदगी बिता रहे हैं।

पारिवारिक समस्या और उससे पैदा हुए तनाव की वजह से अभिजीत (परिवर्तित नाम) शराब पीने लगा था। शराब की वजह से उसकी नौकरी छूट गई। धीरे-धीरे शरीर पर भी बुरा असर पड़ने लगा। अभिजीत ने बताया: “मेरे परिवार वाले समझ नहीं पा रहे थे कि वे क्या करें। बाद में परिजन मुझे संगी मितान सेवा संस्थान नशा मुक्ति केन्द्र लेकर आए। यहां विशेषज्ञों और काउंसलर ने शारीरिक और मानसिक स्थिति का आकलन किया, जिससे पता चला कि शराब के कारण शरीर पर बहुत बुरा असर हुआ है। इसके अलावा उन्होंने पता लगाया कि मैं नशा छोड़ने के लिए तैयार हूं या नहीं और यह भी कि मेरा निश्चय कितना मजबूत है। शराब की वजह से डिप्रेशन या अन्य तरह की समस्या तो नहीं है। इसके बाद मुझे बताया गया कि उनका जबर्दस्ती इलाज नहीं किया जाएगा। फिर मेरा इलाज शुरू हुआ। पहले काउंसलिंग शुरू की गई और फिर अडिक्शन कंट्रोल करने की तकनीक सिखाई गई। फैमिली की भी काउंसलिंग हुई। तीन माह के इलाज के बाद अब मुझे कोई परेशानी नहीं है और अब मैं नगर निगम में नौकरी भी कर रहा हूं।“

इसी तरह मध्य प्रदेश निवासी चेतन शर्मा ( परिवर्तित नाम) जिला अस्पताल बिलासपुर नशा मुक्ति केन्द्र में इलाज कराकर ठीक हो रहे हैं। चेतन ने बताया: “मैं पढ़ाई के लिए बाहर गया था, वहां दोस्तों की संगत में मैं धूम्रपान और शराब का सेवन करने लगा। पढ़ाई में भी मन नहीं लग रहा था। परिवार के लोग यह देखकर काफी परेशान हुए और मुझे नशामुक्ति केन्द्र लेकर आए। यहां कुछ माह इलाज के बाद मैं ठीक हो रहा हूं। अब अपने दोस्तों और परिवार के लोगों को नशा छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहा हूं।“

उल्लेखनीय है हर वर्ष 26 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस’ मनाया जाता है। नशीली वस्तुओं और पदार्थों के निवारण के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ ने 7 दिसंबर 1987 को यह प्रस्ताव पारित किया था और तभी से हर साल लोगों को नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इसे मनाया जाता है। इस वर्ष भी दिवस विशेष पर कार्यक्रमों द्वारा नशे का सेवन नहीं करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा।

*सकारात्मक सोच रखना जरूरी-* संगी मितान सेवा संस्थान, नशा मुक्ति केन्द्र की प्रमुख ममता शर्मा ने बताया: “किसी भी प्रकार का नशा करने वाले लोगों के लिए नशा सेवन की आदत को छोड़ना नामुमकिन नहीं है। अगर व्यक्ति सोच ले तो कुछ भी कर सकता है। वर्ष 2019 से 15 जून 2022 तक संगी मितान सेवा संस्थान नशामुक्ति केन्द्र में 250 लोगों ने नशा का सेवन छोड़ने का संकल्प लिया है। वहीं लगभग 150 लोगों को काउंसिलिंग दी गई है। केन्द्र में बाहर के राज्यों से भी नशा का सेवन करने वाले मरीज पहुंचते हैं। उन्हें योगा, प्राणायाम, जुंबा, आध्यात्मिक विकास, व्यक्तित्व विकास और काउंसिलिंग के जरिए नशा को छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। बहुत जरूरी हुआ तभी मरीजों को दवा दी जाती है।“

*नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में प्रदेश की स्थिति-* नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 (एनएफएचएस -5) के अनुसार छत्तीसगढ़ में शराब का नशा करने वालों की संख्या चुनौतीपूर्ण है। भारत में 15 वर्ष से अधिक 1.3 प्रतिशत महिलाएं और 15 वर्ष से अधिक 18.8 प्रतिशत पुरूष शराब का सेवन करते हैं। वहीं छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यहां 15 वर्ष से अधिक 5 प्रतिशत महिलाएं और 15 वर्ष से अधिक 34.8 प्रतिशत पुरूष शराब का सेवन करते हैं। नशे की आदत को छुड़वाने के लिए सरकार द्वारा नशा मुक्ति केंद्र खोला गया है, जहां नशे से पीड़ित लोगों का उचित उपचार विभिन्न माध्यमों से किया जाता है।

*परिवार वाले कर सकते हैं मदद-* निमहंस (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस) बेंगलुरू से प्रशिक्षित डॉ. राकेश कुमार ने बताया: “नशा एवं नशे से संबंधित समस्या पूरे समाज के लिए हानिकारक है। समाज का एक व्यक्ति केवल नशे का शिकार नहीं होता उसके साथ-साथ समाज के आसपास रहने वाला हर व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आ जाता हैं । किसी भी प्रकार का नशा हो, इस समस्या का समाधान करना अत्यंत आवश्यक हैI मरीज को नशे की लत से बाहर लाने में परिवार की अहम भूमिका है। क्योंकि परिवार का सहयोग उन्हें नशा छोड़ने से होने वाली पीड़ा, तनाव, शर्म और अपराधबोध से मुक्त कराने में मदद करत है। इलाज के दौरान दवाई, काउंसलिंग और सामाजिक मेल-मिलाप जरूरी होता है। “

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