मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से भारती और उसका बच्चा हुआ एनीमिया से मुक्त…

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बेमेतरा 13 जून 2022 :यह कहानी एक गर्भवती महिला की है गर्भधारण करना एक महिला के लिए सबसे सुखद अनुभूति है वेदो में मां को इंसान की प्रथम गुरू का दर्जा दिया गया हैं गर्भ में पल रहे शिशु की सारी भावनाओं को एक मां ही समझ पाती है। कहते है कि शिशु अपने मां को उसकी धड़कनों से पहचानता है अर्थात इस संसार में मां और बच्चे का प्यार ऐसा है जिसे अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता । इस कड़ी में शुरूवात होती है एक मां भारती की कहानी जो ग्राम तरपोंगी की निवासी है भारती संसार के सबसे सुखद अनुभव से 1 अप्रैल 2021 को रूबरू हुई और यहीं शुरूवात हुयी उसके संघर्ष की कहानी भारती का हिमोग्लोबिन 6 ग्राम, वजन 45 किलो था, जिससे वह एनिमिया के शिकार थी तथा उसके बच्चे पर भी एनिमिक होने का खतरा मंडरा रहा था। उसी समय 14 नवंबर 2021 को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की फ्लैगशीप योजना के अंतर्गत गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को केला , पौष्टिक लड्डू ( मुर्रा , चना , फल्लीदाना , तिल , गुड़ से बना 50 ग्राम) प्रदान किया जाने लगा जिसका मूल उद्देश्य गर्भवती शिशुवती माताओं एवं बच्चो का पोषण संवर्धन करना है। इस योजना के अंतर्गत सप्ताह के प्रति सोमवार बुधवार व शुक्रवार को लड्डू व प्रति मंगलवार , गुरुवार , शनिवार को केला प्रदाय किया जाता है पौष्टिक लड्डू के सेवन से भारती के स्वास्थ्य सुधरने लगा और वह एक दिन स्वस्थ शिशु को जन्म दिया प्रसव के पश्चात भी भारती मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के अंतर्गत शिशुवती माता के रूप में लगातार लड्डू एवं केला का सेवन करती रहीं । आज भारती का वजन 55 किलो ग्रा. एवं हिमोग्लोबिन का स्तर 11.7 ग्राम हैं एवं उसका शिशु 8 किलो ग्रा. का एक स्वस्थ्य बालक है। भारती के जीवन के अहम पड़ाव में मुख्यमंत्री सुपोषण योजना एक संजीवनी की तरह आकर उसे और उसके शिशु को एनिमिया के चक्र से मुक्त कर गया ।

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