मजाक बन गया छत्तीसगढ़ का स्कूल शिक्षा विभाग,ऐसा हम नहीं सभी कह रहे हैं… मजाक बन गया छत्तीसगढ़ का स्कूल शिक्षा विभाग, ऐसे हम सब नहीं कह रहे हैं…

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग का भगवान ही मालिक है। ऐसा हम नहीं सभी कह रहे हैं, जिस हिसाब से अधिकारियों ने स्कूल शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है वह यह बताने के लिए काफी है कि व्यवस्था में सुधार लाने के बजाय खुद की पीठ थपथपाने की कोशिश ज्यादा हो रही है।

बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थियों के लिए सबसे कठिन और महत्वपूर्ण समय नवंबर,दिसंबर और जनवरी का महीना होता है। इसी तीन महीने में स्टूडेंट्स को पढ़ाई की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। तब समय उनके लिए यकायक कीमती हो जाता है। स्कूल विभाग इससे इतर सिर्फ और सिर्फ परीक्षा में ही जुटा हुआ है। स्कूल शिक्षा विभाग के कैलेंडर पर गौर करना भी जरुरी है।

पहले 16 दिसंबर से लेकर 30 दिसंबर तक अर्धवार्षिक परीक्षा का आयोजन किया गया, जो स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य कार्यालय के निर्देश पर हुआ।

0 पहले राज्य कार्यालय अब समग्र शिक्षा विभाग का फरमान

अब समग्र शिक्षा विभाग के कार्यालय से 31 दिसंबर को एक और आदेश जारी हुआ है। जिसके तहत 6 जनवरी से लेकर 14 जनवरी तक समग्र शिक्षा कार्यालय से आए प्रश्न पत्र के आधार पर स्टूडेंट्स का मॉक टेस्ट होगा। माक टेस्ट के बाद डीपीआई के निर्देश के आधार पर प्री बोर्ड परीक्षा ली जानी है। जिसके लिए टाइम टेबल 20 से 29 जनवरी के बीच का निर्धारित किया गया है । यह सभी परीक्षा बोर्ड के समान तीन-तीन घंटे की होगी।

0 16 दिसंबर से लेकर 29 जनवरी तक परीक्षा ही परीक्षा

ठंड के कारण स्कूल ऐसे भी चार घंटे ही लग रहे हैं और उसमें 3 घंटे की परीक्षा यानी उस दिन किसी प्रकार की कोई पढ़ाई नहीं होना। कुल मिलाकर 16 दिसंबर से लेकर 29 जनवरी तक 10 दिन भी पढ़ाई नहीं हो पा रही है और बच्चे केवल और केवल परीक्षा देते ही नजर आएंगे। डेढ़ महीने का यह कीमती समय जब जमकर पढ़ाई होनी थी उस दौर में इस प्रकार की परीक्षाएं लगातार आयोजित करना किसी भी तरीके से सही नहीं माना जा रहा है।

0 ये कैसी व्यवस्था, विभागों में आपसी सामंजस्य का दिख रहा अभाव

परीक्षाएं पहले भी होती थी लेकिन बोर्ड वाले परीक्षार्थियों के लिए अर्धवार्षिक परीक्षा के स्थान पर प्री बोर्ड परीक्षा लाया गया था जिसमें पूरे सिलेबस की तैयारी के साथ परीक्षाएं होती थी, लेकिन अब तो शिक्षा विभाग ने बच्चों के साथ ऐसा मजाक किया है कि बोर्ड के स्टूडेंट्स पहले अर्धवार्षिक परीक्षा, मॉक टेस्ट और फिर प्री बोर्ड टेस्ट देंगे । विभागों में आपसी सामंजस्य न होना और आंख मूंदकर विभागों का फैसला लेना इसकी प्रमुख वजह है।

 

 

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