मलचींग विधि से खेती करने पर बम्पर पैदावार से मो.साबीर हुसैन के चेहरे पर आई मुस्कान…

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सफलता की कहानी:-

मलचींग विधि से खेती करने पर बम्पर पैदावार से मो.साबीर हुसैन के चेहरे पर आई मुस्कान

घर की आर्थिक स्थिति में हुआ सुधार

बलरामपुर 22 अगस्त 2024: बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के विकासखण्ड शंकरगढ़ के ग्राम पेंडारडीह के प्रगतिशील कृषक मो. साबीर हुसैन ने मलचींग विधि से सब्जी की खेती करने व सब्जी को बाजार में बेचकर लगभग 10 से 15 लाख रुपये का लाभ कमाया। वह अपनी खेती की सफलता का श्रेय कठिन परिश्रम के साथ उद्यान विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजनान्तर्गत संचालित प्रशिक्षण एवं भ्रमण कार्यक्रम को देते है।

कृषक मो. साबीर हुसैन के पास लगभग 07 एकड़ जमीन है और इनका पारिवारिक पेशा खेती-बाड़ी है। मो. साबीर का पूरा परिवार परम्परागत् तरीके से खेती करते हैं। मो. साबीर बताते है कि पूरी मेहनत करने पर और विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं एवं उन्नत तकनीकी ज्ञान के अभाव में उत्पादन इतना कम होता था कि परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता था। इसके अलावा भविष्य की पारिवारिक जिम्मेदारियां भी अधर में दिखाई दे रहीं थी। एक बार कही से मो. साबीर को जानकारी मिली कि उद्यान विभाग द्वारा उन्नत खेती करने की जानकारी एवं सहायता प्रदान की जाती है। वह अपनी आय को बढ़ाने के लिए एक दिन विकासखण्ड के उद्यान विभाग में गए तथा अधिकारियों से सम्पर्क कर उद्यानिकी खेती की उन्नत तकनीक के बारे में चर्चा की। उन्हें बताया गया कि विकासखण्ड में संचालित राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजनान्तर्गत प्रशिक्षण एवं भ्रमण कार्यक्रम आयोजन किया जाता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेकर मो. साबीर हुसैन ने सब्जी उत्पादन करने का निर्णय लिया और उद्यान विभाग से संपर्क किया वहां अधिकारियों ने मुझे मलचींग विधि से खेती करने व अनुदान के बारे में बताया। तत्पश्चात मो. साबीर हुसैन ने अपने 02 हेक्टेयर भूमि में उद्यान विभाग से मिले अनुदान राशि 19000 की मदद से मलचींग विधि से खेती करना शुरू किया। साथ ही उद्यान विभाग के सहयोग से 01 हेक्टेयर भूमि में ड्रिप भी लगवा लिया। वह बताते हैं कि मलचींग विधि से खेती करने में मुझे खर्चा भी कम लगा। साथ ही इस विधि से खेती करने में खरपतवार की समस्या भी नही होती है। ड्रिप के उपयोग से फसलों में पानी भी कम लगता है। उन्होंने बताया कि अपने खेत मे खीरा, टमाटर व बैगन की खेती करने में लगभग 60 से 70 हजार का खर्चा आया। फसल उत्पादन से मुझे लगभग 325 क्विंटल टमाटर, 150 क्विंटल बैगन तथा 200 क्विंटल खीरा प्राप्त हुआ। सब्जी विक्रय करने में मुझे कोई परेशानी नही हुई। अन्य जिलों के अलावा पड़ोसी राज्यों के सब्जी विक्रेता स्वयं आकर मेरे खेत से ही नगद पैसा दे कर मुझ से सब्जी खरीद कर ले जाते है। जिससे मुझे लगभग 10 से 15 लाख का शुद्ध आय प्राप्त हुआ। मेरे परिवार की स्थिति भी ठीक हो गई है और मैं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दिला पा रहा हूं। अच्छी आय प्राप्त होने तथा परिवार की स्थिति ठीक हो जाने पर मो. साबीर हुसैन के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी है। मो. साबीर हुसैन की उन्नति को देखकर आस-पास के कृषक भी उद्यानिकी फसल को अपनाने हेतु प्रेरित हो रहे हैं।

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