पौराणिक कथा: उज्जैन में धरती फाड़कर प्रकट हुए थे भगवान शिव, राक्षस के संहार के बाद कहलाए बाबा महाकाल…

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  • महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में से तीसरे स्थान पर है। यह एकमात्र ज्योर्तिलिंग है, तो दक्षिणमुखी है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में भक्त बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं। प्रत्येक 12 साल में उज्जैन में महाकुंभ का भी आयोजन किया जाता है।

इंदौर। आज से पवित्र सावन माह की शुरुआत हो चुकी है। देश में भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग है। इन सभी का अपना अपना महत्व है और इन सभी से पौराणिक कथा जुड़ी है। सावन माह में इन सभी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भगवान शिव का प्रमुख और तीसरा ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है, जिसे महाकालेश्वर के नाम से जाता है। आपको इस ज्योतिर्लिंग के धार्मिक महत्व के बारे में बताते हैं।

ये है पौराणिक कथा

हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार, रत्नमाल पर्वत पर दूषण नामक राक्षस रहता था। ब्रह्मा से मिले आशीर्वाद के कारण वह धर्म का पालन कर रहे लोगों को परेशान करता था। वरदान के मद में चूर होकर व‍ह उज्जैन के ब्राह्मणों पर भी आक्रमण करने लगा और कर्मकांड में बाधा डालने लगा।

राक्षस से त्रस्त होकर ब्राह्मणों ने भगवान शिव से दूषण से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान शिव ने राक्षस को आक्रमण रोकने की चेतावनी दी।

लेकिन राक्षसों ने ब्राह्मणों पर आक्रमण कर दिया, जिसके बाद महादेव धरती फाड़कर प्रकट हुए और दूषण राक्षस को भस्म कर दिया। भक्तों ने भगवान शिव से इसी स्थान पर रुकने के लिए आग्रह किया, जिसके बाद भगवान वहां विराजमान हो गए और महाकाल कहलाए।

एकमात्र दक्षिणमुखी है ज्योतिर्लिंग

उज्जैन स्थित महाकालेश्वर एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिण मुखी है। इसका तंत्र साधना के लिहाज से भी विशेष महत्व है। मान्‍यता है कि बाबा महाकाल के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

धरती का केंद्र बिंदु है उज्जैन

भौगोलिक दृष्टि से भी उज्‍जैन का विशेष महत्व है। यह पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। इसके साथ ही शास्त्रों में भी उज्जैन को देश का नाभि स्थल कहा गया है।

 

 

 

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