लू का इलाज समय पर जरूरी, नहीं तो हो सकती है गंभीर स्थिति…

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– लू से बचने के लिये खूब पानी पीने और धूप से बचने की अपील

बिलासपुर, 13 मई 2022, बढ़ते तापमान की वजह से सभी आयु वर्ग के लोगों को लू का खतरा ज्यादा होता है। खासकर ऐसे में संक्रामक बीमारियां भी लोगों को परेशान करती हैं। विशेषकर छोटे बच्चे और वृ़द्ध ज्यादा प्रभावित होते हैं इसलिए इससे बचाव करना चाहिए। छोटे बच्चों को वयस्कों की अपेक्षा खतरा ज्यादा होता है इसलिए बच्चों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। समय पर लू का इलाज करना जरूरी है नहीं तो इससे गंभीर स्थिति भी हो सकती है।

हालांकि स्वास्थ्य विभाग किसी भी स्थिति से निपटने के लिए 24 घंटे तैयार है, बावजूद इसके लोगों को बढ़ते तापमान, लू और संक्रामक बीमारी से बचने की जरूरत है। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. प्रमोद महाजन का कहना है, ” दिन प्रतिदिन बढ़ते तापमान और लू की वजह से हर उम्र के व्यक्तियों को बीमार होने का खतरा है। शिशुओं और बच्चों को लू लगने या हीट स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। वे वयस्कों की तरह अपने शरीर का तापमान नियंत्रित नहीं कर सकते और गर्मी से परेशान होने पर वे इस बारे में ठीक से बता भी नहीं पाते। उनको ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। लंबे समय तक घर से बाहर गर्मी या धूप में रहने से शिशु को लू लग सकती है। यदि शिशु के शरीर में पानी की कमी हो (डिहाइड्रेशन) , शरीर सुस्त सा लगे तो लू या हीट स्ट्रोक की संभावना रहती है। यदि समय पर उन्हें इलाज नहीं मिले तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है, इसलिए ऐसे में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यदि शिशु में हीट स्ट्रोक या लू के शुरुआती लक्षण दिखाई दें रहे हैं तो शिशु को फौरन नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर लेकर जाएं और चिकित्सकीय परामर्श लें। “ उन्होंने आगे बताते हुए कहा “सभी उम्र के लोगों को तेज धूप में ज्यादा देर तक रहने से बचना चाहिए। लू से बचने के लिये खूब पानी पिए और धूप से बचे। साथ ही साथ कोविड संक्रमण की रोकथाम के नियमों का पालन भी करना चाहिए। जिले में लू और संक्रामक रोगों के प्रति जन-जागरूकता के लिए स्वास्थ्य अमला समय समय पर रोगों से बचाव के तरीके लोगों को बताते हैं और आगे भी यह क्रम जारी रहेगा।“

लू हीट स्ट्रोक – अप्रैल से जून के महीने में तापमान उच्च स्तर पर होता है बहुत गर्म और शुष्क हवाएं बहती हैं । व्यक्ति गर्म हवा और धूप के संपर्क में देर तक रहता है, या उसका चेहरा सिर देर तक धूप में गर्म हवा के संपर्क में आता है, तो लू लगने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में इसके उपचार के लिए जिला अस्पताल, सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र. हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, में ओआरएस कॉर्नर बनाए गए हैं ।

दिखे ये लक्षण तो डॉक्टर से करें संपर्क – यदि किसी व्यक्ति को लू लग गई है, तो वह डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकता है, उसके शरीर में पानी की कमी हो जाएगी। शरीर का तापमान लगभग 101 या 102 डिग्री से ऊपर होगा और उसे बार-बार प्यास लगेगी। सिरदर्द, कमजोरी, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना, उल्टी , सांस लेने में तकलीफ, दस्त और कई बार बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं। युवाओं की तुलना में बच्चों और बुजुर्गों को लू लगने की संभावना बहुत अधिक होती है।

लू से बचने के उपाय- लू से सभी प्रभावित हो सकते हैं इसलिए घर से बाहर जाते समय खुद को हाइड्रेटेड रखें, पानी का पर्याप्त इंतजाम रखें, बहुत जरूरी धूप में निकलना हो तो ही निकलें। छोटे बच्चों को लेकर धूप में जाना हो उनको को भी ढंककर ही बाहर निकालें, तरल पदार्थ थोड़-थोड़ी देर में देते रहें, शिशु छह महीने से छोटा है तो उसे स्नपान कराएं I यदि वह छह माह या इससे बड़ा है तो पानी या नमक चीनी युक्त पानी दें। छाता लेकर चलें और सर को जरूर ढक कर रखे। शरीर को गर्म हवा के संपर्क में लाने से बचें।

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