दो मुठभेड़ में 42 नक्सली ढेर बस्तर में कमजोर पड़ चुका है नक्सल तंत्र …

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अब सुरक्षा बल के निशाने पर नक्सलियों का लड़ाकू दस्ता

जगदलपुर। सुरक्षा बल के एक माह के भीतर नक्सलियों के पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) लड़ाकू दस्ते पर प्रहार से नक्सलियों को तगड़ा झटका दिया है। सुरक्षाबलों ने एक पखवाड़े के भीतर पहले बीजापुर जिले के कोरचोली लेंड्रा में 13 और फिर कांकेर जिले के छोटेबेठिया थाना क्षेत्र के कलपर-आपाटोला के पहाड़ी पर सीधे नक्सल कंपनी पर प्रहार कर 29 नक्सली सहित 42 नक्सली मार गिराए हैं।

मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के अत्याधुनिक हथियार भी मिल रहे हैं। रविवार को भी बीजापुर जिले के केशकुतुल की पहाड़ी पर एक नक्सली को ढेर कर दिया है। इसके साथ ही पिछले तीन माह के भीतर मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की संख्या 80 हो गई है। पिछले पांच वर्ष में मारे गए नक्सलियों की यह सर्वाधिक संख्या है, जबकि अभी वर्ष की शुरुआत है।

एक माह के भीतर सुरक्षा बल की नक्सलियों की लड़ाकू कंपनी से दो बार की मुठभेड़ और लगातार मिल रही सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि बस्तर में नक्सलियों का जनाधार अब खत्म हो चुका है। नक्सल संगठन के गढ़ पालनार से तीन किमी आगे कोरचोली में सुरक्षा बल को नक्सल कंपनी से मुठभेड़ में बड़ी सफलता मिली थी। पालनार के ग्रामीण कहते हैं कि सुरक्षा बल के आने से वे अब सुरक्षित महसूस करते हैं।

तर्रेम गांव के कोवाराम अवलम ने बताया कि सुरक्षा बल का कैंप लगने के बाद वे गांव लौटे हैं, दशकों से गांव छोड़ चुके ग्रामीण भी वापस लौट रहे हैं। सिलगेर के जयराम कहते हैं कि स्कूल, अस्पताल खुलने से ग्रामीणों को सुविधा मिल रही है और लोग अब सुरक्षा बल के साथ हैं।

छोटेबेठिया मुठभेड़ के बाद कांकेर में नक्सलियों से मिले हथियार का अवलोकन करते सुरक्षा बल के अधिकारी।

नक्सलियों का था मजबूत नेटवर्क

पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुंदरराज पी. ने बताया कि ग्रामीणों के भरोसे बस्तर में 40 वर्ष तक नक्सली अपना राज चलाते रहे। पहले जंगल में सुरक्षा बल के घुसते ही नक्सलियों का मिलिशिया और संघम सदस्य का नीचला तंत्र सक्रिय हो जाता था। इससे सुरक्षा बल को अभियान में कठिनाई आती थी। मजबूत सूचना तंत्र के दम पर नक्सली बच निकलते थे या सुरक्षा बल को निशाने पर ले लेते थे।

जंगल के भीतर मजबूत नक्सलतंत्र के कारण ही ताड़मेटला में 76, रानीबोदली में 55, टेकुलगुड़ेम में 22 जवानों के बलिदान की घटनाएं सामने आई थी। अब दशकों बाद बस्तर में परिस्थितियां बदली हुई दिखाई दे रही है। पिछले पांच वर्ष में बस्तर में 200 के लगभग सुरक्षा बल के कैंप स्थापित करने के साथ ही सामुदायिक कार्यक्रम चलाकर ग्रामीणों का भरोसा जीतने का काम सुरक्षा बल ने किया है।

लगातार पराजय से बौखलाए नक्सली

नक्सलियों को मोर्चे पर लगातार मिल रहे पराजय से नक्सल संगठन के भीतर बौखलाहट दिखाई दे रही है। नक्सलियों ने नारायणपुर में भाजपा नेता केदार कश्यप के करीबी नेताओं को मारने की धमकी का पर्चा फेंका है, जिसमें भाजपा नेता जयप्रकाश शर्मा, संजय तिवारी, गुलाब बघेल और शांतु दुग्गा को जान से मारने की धमकी दी गई है। सुरक्षा बल के अधिकारी ने बताया कि सीधे मुठभेड़ में लगातार नक्सलियों को पराजय मिल रही है। इसलिए अब वे स्माल एक्शन टीम को सक्रिय कर क्षेत्र में भय का वातावरण बनाए रखने के लिए लगातार भाजपा नेताओं व ग्रामीणों को टारगेट कर हत्या कर रहे हैं। चुनावी वर्ष में अब तक एक दर्जन भाजपा नेता व इतने ही ग्रामीणों की हत्या वे कर चुके हैं।

नक्सल संगठन को लगा झटका

कांकेर जिले के छोटेबेठिया मुठभेड़ में सुरक्षा बल के प्रहार से इस क्षेत्र में सक्रिय दो बड़े नक्सल संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) सहित महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोनल कमेटी को तगड़ा झटका लगा है। नक्सलियों ने पर्चा जारी कर स्वीकार किया है कि छोटेबेठिया में मारे गए नक्सलियों में से दस नक्सली एमएमसी जोन व 14 डीकेएसजेडसी के थे। मुठभेड़ में उत्तर बस्तर डिविजनल कमेटी प्रभारी शंकर राव, पत्नी एरिया कमेटी सदस्य रीता तेलंगाना राज्य के थे। डीवीसी सदस्य ललिता भी मारी गई। मुठभेड़ में एमएमसी जोन में सक्रिय नक्सली सुरेखा महाराष्ट्र के गढ़चिरोली, कविता नेंडूर, रजिता आदिलाबाद रीता मानपुर, विनोद मानपुर के थे।

 

 

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