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रायपुर: देश से अल-नीनो की विदाई हो चुकी है. दूसरी ओर, अल-नीनो के ठीक विपरीत ला नीना की एंट्री जुलाई में होने जा रही है. यह जानकारी ऑस्ट्रेलिया की मौसम एजेंसी ने दी है. देश में जून 2023 में अल नीनो एक्टिव हुआ था. इसके बाद पिछले साल मॉनसून में देश के कई हिस्सों में बारिश की कमी देखी गई थी. लेकिन इस बार मॉनसून से पहले ही अल नीनो का प्रभाव खत्म हो गया है.
इसे देखते हुए मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून में अच्छी बारिश की उम्मीद जताई है. मौसम विभाग ने ला नीना के एक्टिव होने की भी जानकारी दी है. ठीक ऐसी ही जानकारी ऑस्ट्रेलिया की वेदर एजेंसी ने भी दी है. एजेंसी के मुताबिक, जुलाई में ला नीना एक्टिव होगा जिससे मॉनसून की अच्छी बारिश दर्ज की जा सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई तक अल नीनो के एक्टिव होने की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है.
विदेशी एजेंसी का दावा
दुनिया के कई क्लाइमेट मॉडल में इस बात की जानकारी दी गई है कि अल नीनो का दौर खत्म हो चुका है और जुलाई तक इसके न्यूट्रल रहने की पूरी संभावनाएं हैं. यानी जुलाई तक किसी भी सूरत में अल-नीनो एक्टिव नहीं होगा. फिर उसी जुलाई में ला-नीना सक्रिय होगा जो अल-नीनो के विपरीत प्रभाव देता है. अल-नीनो जहां सूखा या कम बारिश की स्थिति पैदा करता है, वही ला-नीना में अच्छी या अधिक बारिश की संभावनाएं अधिक होती हैं. दुनिया के सात में तीन वेदर मॉडल में इस बाती की जानकारी दी गई है कि जुलाई में ला-नीना एक्टिव होगा.
अल-नीनो का बुरा असर
देश में पिछले साल जून में अल-नीनो एक्टिव हुआ था इस साल मार्च तक उसका प्रभाव देखा गया. मध्य मार्च में एक रिपोर्ट में कहा गया कि अल-नीनो का प्रभाव अब खत्म हो गया है. इसी बात की तस्दीक ऑस्ट्रेलिया की वेदर एजेंसी ने भी किया है. एजेंसी के मुताबिक अल नीनो अब न्यूट्रल हो गया है और जुलाई में ला-नीना एक्टिव हो जाएगा. पिछले साल आए अल-नीनो से देश के एक चौथाई इलाकों में कम बारिश दर्ज की गई. आंकड़े के मुताबिक लगभग 40 फीसदी हिस्से में कम बारिश दर्ज की गई थी. इस साल ऐसी स्थिति बनती नहीं दिख रही है.
कई राज्यों में पानी का जलस्तर हुआ कम
पिछले साल मॉनसून की बारिश का कम असर अभी तक देखा जा रहा है. खासकर दक्षिण के राज्य अधिक प्रभावित हैं. देश के अधिकांश हिस्सों में बांधों में पानी का स्तर खतरनाक स्तर पर चला गया है. दक्षिण भारत के कई राज्यों में पानी का स्तर 50 फीसद तक गिर गया है. यही हाल भूजल स्तर का भी है. रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में जलस्तर की सबसे खतरनाक स्थिति है. जलस्तर गिरने से बिजली उत्पादन और खरीफ फसलों की खेती प्रभावित हो सकती है. देश की कई सिंचाई परियोजनाएं बांधों के पानी पर निर्भर हैं. ऐसे में पानी का स्तर गिरना सिंचाई के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
पिछले साल की कम बारिश का असर इस साल जून तक कुछ फसलों पर देखा जाएगा. इतना ही नहीं, कुछ असर अभी से देखे जा रहे हैं. धान, दाल, मोटा अनाज, मक्का, मूंगफली और बागवानी फसलों के उत्पादन में गिरावट आई है. अगले एक दो महीने में भी यही ट्रेंड देखने को मिलेगा क्योंकि बारिश की कमी ने फसलों पर बुरा असर डाला है.