वन अधिकारी बेखौफ बदस्तूर कर रहे है तेंदूपत्ता संग्रहंण के नाम से घोटाला – कृष्ण कुमार ध्रुव

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 केशकाल । केशकाल विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक कृष्ण कुमार ध्रुव का कहना है की प्रदेश में तेंदू पत्ता संग्रहंण के लिए बारदाना खरिदी एवं संग्रहंण गोदामीकरंण के लिए समान खरिदी के नाम से सरकार को करोडो करोडो रूपये का चूना लगाकर संबधित अधिकारी लगातार अपना स्वार्थ साध रहे हैं । पूर्व विधायक का यह कहना है की सरकार तेंदूपत्ता संग्राहको को लाभान्वित करने के लिए तेंदू पत्ता संग्रहंण का समर्थन मूल्य बढाकर तेंदू पत्ता खरीदी करके घाटा वहन करके संग्रहित करके घाटा वहन करके संग्रहित तेंदू पत्ता बिक्री करने का काम कर रही है।सरकार को होने वाले घाटे को उनके ही अधिकारी और अधिक बढाने में कोई संकोच नही करते जिससे सरकार को होने वाला घाटा बढ जा रहा है। पूर्व विधायक श्री ध्रुव ने बारदाना के नाम से होने वाले गडबडझाला का खुलासा करते हुऐ बताया की लक्ष्य के अनुसार बारदाना खरीदकर बारदाना-सूतली-रंग-बी एस सी पाऊडर- भूसा खरीदी मे मिलने वाला कमीशन अधिकारी अर्जित कर लेते हैं पर अधिकतर लक्ष्य से कम ही तेंदू पत्ता खरीदी हो पाता है। जिसके चलते खरीदा गया बारदाना एवं अन्य सामान बच जाता है। जिसे रख लिया जाता है पर जब फिर अगले वर्ष तेंदू पत्ता संग्रहंण का सीजन आता है तो पिछले वर्ष के बचे हुऐ बारदाना सूतली रंग बी एस सी पाऊडर भूसाका उपयोग न करके उसे नष्ट होना दर्शा दिया जाता है और फिर लक्ष्य अनुसार बारदाना तथा अन्य सामान खरीदी कर लिया जाता है। इस बीच बचे हुए बारदाना सूतली तथा अन्य समानो को पीछे के दरवाजे से बेचकर भी व्यक्तिगत आय प्राप्त कर लिया जाता है। तेंदू पत्ता संग्रहंण परिवहन फिर गोदामीकरंण के बीच हर प्रक्रिया में सामग्री खरीदी एवं भुगतान में भी अपना अपना हिस्सा पूरे हक से ले लिया जाता है। प्रदेश भर के समस्त जिला यूनियन में मात्र पिछले दस वर्ष के भीतर खरीदे गये बारदाना व अन्य समानो का और उसमे से बचे हुऐ बारदाना एवं समानो का लेखा जोखा का हिसाब किताब करके बकाया बारदाना का भौतिक सत्यापन करा लिया जावेंगे तो हुऐ सैकडों करोड का घोटाला प्रमाणित होकर सामने आ जायेगा । पूर्व विधायक का कहना बडे दुख एवं विडंबना की बात है की सरकार एक तरफ वन पर निर्भर रहने वाले गरीब मेहनतकश संग्राहको के प्रति अपने सामाजिक सरोकार का निर्वाह करते लोगों को लाभान्वित करने के लिए तेंदू पत्ता संग्राहको को अधिक से अधिक लाभ दिलाने आर्थिक क्षति भी वहन कर रही है वंही उसी सरकार के नुमाईन्दे अधिक से अधिक लाभ अर्जित कर लेने के लिए अपने ही सरकार के मंसूबों पर पानी फेरते सरकार को आर्थिक चपत लगाने में कोई शर्म संकोच नहीं कर रहे हैं ।

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