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दंतेवाड़ा, 22 दिसंबर 2023 : वास्तव में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। योजना के तहत निर्धन महिलाओं को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन दिये जाने से महिलाओं को न केवल भोजन बनाने मे सहूलियत होने लगी है और तो और पूर्व में लकड़ियों, गोबर के कंडों से भोजन बनाने पर निकलने वाले धुओं से भी उन्हें छुटकारा मिला। इस क्रम में आज जिले में चलाये जा रहे विकसित भारत संकल्प यात्रा शिविर में उज्जवला योजना के हितग्राही महिलाओं ने निःशुल्क रसोई गैस के फायदों को साझा किया। ज्ञात हो कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत आज जिले के आठ ग्राम पंचायतों पालनार, फूलपाड़, नेटापुर, चंदेनार,मुचनार, हितामेटा, परचेली, कटेकल्याण में शिविर का आयोजन किया गया था। जहां प्रधानमंत्री उज्जवला के स्टॉलों पर महिलाओं की भारी भिड़ देखने को मिली। इनमें ग्राम पालनार की निवासी ’’तुलेश्वरी मुड़ामी’’ ने उज्जवला योजना की विशेषता के संबंध में बताया कि उसने 2017 से ही योजना का लाभ ले लिया है पहले चूल्हे में खाना बनाने के लिए जंगल से लकड़ियों के व्यवस्था करनी पड़ती थी फिर उसे जलाने और भोजन पकाने में बहुत वक्त जाया होता था। परन्तु रसोई गैस होने से अब मिनटो में भोजन तैयार हो जाता है इसी प्रकार अन्य महिला ’’दुलमा सिन्हा’’ ने भी इस संबंध में बताया कि वे 2018 से उज्जवला के हितग्राही है पहले चूल्हे पर खाना पकाने में अपने बच्चों को भोजन देने में देर हो जाती थी लेकिन रसोई गैस से तुरंत खाना बनाने से बच्चों को स्कूल जाने में देर नहीं होती। उसका यह भी मानना है यदि गैस चूल्हे को सावधानी पूर्वक उपयोग किया जाए तो गैस सिलेंडर एक की जगह दो महीने चलता है। गैस के खत्म होने पर वह निकटस्थ ग्राम नकुलनार से पुनः गैस भरवा लेती है। अन्य ग्राम पंचायत मेटापाल की ही उज्जवला योजना की एक अन्य हितग्राही बीएससी की छात्रा ’’अनिता कोड़ामी’’ और ’’बुधरी कोड़ामी’’ ने भी योजना के संबंध में बताया कि पहले चूल्हे का धुआ आंखों में चले जाने से आंखों में जलन की शिकायत थी परन्तु अब गैस मिल जाने से आंखों में बहुत आराम है और भोजन भी अच्छे से बन जाता है। उन्होंने सरपंच से कहने पर 2017 में ही रसोई गैस के लिए फार्म भर लिया था अब तुरन्त खाना बना कर वे अपने-अपने काम पर निकल जाती है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत 1 मई 2016 में की गई थी जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को गैस कनेक्शन दिया जाता है इतना ही नहीं पूरे साल महिलाएं एलपीजी गैस का ही उपयोग करें इसलिए इन्हे सब्सिडी पर गैस सिलेंडर दिये जाते है इसके साथ ही कनेक्शन लेने पर 1600 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है ताकि वे गैस कनेक्शन से जुड़ी अन्य जरूरी चीजें भी खरीदें। निश्चित ही उज्जवला योजना का सुखद परिणाम यह निकला कि महिलाएं चूल्हे के धुएं से आजाद होकर एलपीजी गैस का खाना बनाने के लिए उपयोग कर रही है।
बहरहाल आज जिले के वनांचल ग्रामों में ’’विकसित भारत संकल्प यात्रा’’ के दौरान प्रधानमंत्री के प्रेरणादायक उद्बोधन ग्राम पंचायतों में प्रसारित करने के साथ-साथ विभिन्न विभागों जैसे राजस्व, स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, कृषि एवं उद्यानिकी
, मत्स्य, पशुधन और विभिन्न बैंकों के मैदानी कर्मचारियों द्वारा विभाग से संबंधित योजनाओं से ग्रामीणों को अवगत करा कर उन्हे लाभ लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।