चर्च ऑफ नार्थ इंडिया का 53 बरस का सफर …

गरीबों को भोजन, सीनियर सिटीजन को कंबल, दवाएं व फल वितरण, गिरजाघरों में विशेष आराधनाएं
– छत्तीसगढ़ समेत देशभर में कायर्क्रम

रायपुर@khabarwala.news। चर्च ऑफ नार्थ इंडिया यानी सीएनआई बुधवार को 53 बरस का हो गया। 29 नवंबर 1970 को नागपुर में इस आत्मिक इमारत की बुनियाद एकता, सेवा अौर गवाही पर रखी गई। इसका स्मरण करने छत्तीसगढ़ समेत देशभर में बुधवार को विशेष प्रार्थना सभाएं हुईं। मॉडरेटर बिजय कुमार नायक व बिशप एसके नंदा की अगुवाई में कार्यक्रम हुए। प्रदेश में छत्तीसगढ़ डायसिस के सचिव नितिन लॉरेंस की अगुवाई में डायिसस कार्यालय, स्कूलों, संस्थाअों व गिरजाघरों में आयोजन हुए।
डायसिस ऑफिस के समक्ष भंडारा लगाया गया अौर जरूरतमंदों को भोजन कराया गया। सालेम इंग्लिश स्कूल व अन्य सूकों में सीएनअाई डे मना। श्याम नगर अोल्ड एड होम जाकर सीनियर सिटीजंस को फल, कंबल, दवाएं व भोजन वितरण किया गया। शाम को सभी गिरजाघरों में िवशेष अाराधनाएं हुईं। इनमें पास्ट्रेट कमेटी, संडे स्कूल, महिला सभा, युवा सभा व क्वायर के सदस्यों ने भागीदारी की। प्रदेश में रायपुर समेत, बिलासपुर, रायगढ़, महासमुंद ,भाटापारा, बलौदाबाजार अंबिकापुर, सक्ती, खरसिया, ितल्दा, सिमगा, बैतलपुर, मुंगेली, दुर्ग – भिलाई, कवर्धा, तखतपुर, जरहागांव, फास्टरपुर, विश्रामपुर, नवा रायपुर, जोरा, खरोरा, कोरबा, धरमजयगढ़, बागबहरा, डौंडीलोहारा, मोतिमपुर अादि स्थानों पर अायोजन हुए। सेंट पॉल्स कैथेड्रल में शाम 6 बजे प्रार्थना व धन्यवादी अाराधना हुई। इसके बाद केक काटकर सीएनआई की वर्षगांठ मनाई गई। इस मौके पर पादरी सुनील कुमार पादरी सुशील मसीह की अगवाई में केक काटा गया। कार्यक्रमों में पादरी शमशेर सामुएल, पादरी हेमंत तिमोथी, पादरी असीम प्रकाश िवक्रम, पादरी अब्राहम दास, डायसिस के सचिव िनतिन लारेंस, कोषाध्यक्ष अजय जॉन कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद मसीह, वी. नागराजू, राकेश सालोमन, रूचि धमर्राज, डीकन जीवन मसीह दास, सेवक ऐश्वर्या लिविंग्सटन, पूर्व बिशप रॉबर्ट अली, पादरी सैमसन सैमुअल, सनातन सागर, अमित, अालोक चौबे, सालेम स्कूल की प्रिंसिपल रूपिका लॉरेंस, अाइजक रॉबिंस, दीपक गिडियन, मनीष दयाल, जॉनसन मसीह, अनिल सोलोमन, मेघा फ्रैंकलिन, निशीबाला मसीह, राहुल करीम, प्रवीण जेम्स, नेहा रॉय, विनित पॉल अादि शामिल हुए।
0 जाने सीएनआई की दिलचस्प कहानी :  एकता, सेवा व गवाही की नींव पर खड़ी हुई यहआत्मिक इमारत : 
सीएनअाई देश के 22 राज्यों में है। इसके गठन के लिए कोशिशें तो 1929 से ही प्रारंभ हो गई थीं। गोलमेज सम्मेलन में इसकी रूपरेखा तय की गई। 1951 में चर्च िनकायों ने नेगोशिटिंग कमेटी का गठन किया। इसमें यूनाइटड चर्च अॉफ इंिडया, चर्च अॉफ इंडिया, पाकिस्तान, बर्मा व िसलोन, मैथोडिस्ट चर्च इन दक्षिण एशिया अौर उत्तर भारत की काउंसिल अॉफ बैपटिस्ट चर्च शामिल थे। इसके बाद 1957 में डिसाइपल्स अॉफ क्राइस्ट चर्च भी बातचीत में शामिल हो गया। 1961 में एक नई वार्ता समिति बनाई गई। इसमें सभी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ 1965 में ये योजना चौथे व पांचवें चरण तक पहुंची। इस ब्लू प्रिटं के अाधार पर ही 29 नवंबर 1970 को नागपुर में सीएनआई का उदय हुअा। अंितम वक्त में मैथोडिस्ट चर्च इन दक्षिण एशिया अभियान से अलग हो गया। मैथोडिस्ट चर्च, द ब्रिटिश अौर ऑस्ट्रेलियेशियन इस संघ से जुड़ गए। इस तरह इस संगठन में द काउंसिल अॉफ बैपटिस्ट चर्चेस इन नार्दर्न इंडिया, द चर्च अॉफ ब्रदर्न इन इंडिया, द डिस्पाइपल्स ऑफ क्राइस्ट चर्च, द चर्च अॉफ इंडिया (चर्च अॉफ इंडिया बर्मा एंड सिलोन), द मैथोडिस्ट चर्च (ब्रिटिश एंड ऑस्ट्रेलिसियन कांफ्रेंस) तथा द यूनाइटेड चर्च अॉफ नॉर्दर्न इंडिया शामिल हो गए थे। 1929 से 1970 तक 41 साल का सफर तय करने के बाद सीएनअाई अस्तित्व में अा सका।
प्रतीक चिन्ह : सीएनआई की एकता को वास्तविक रूप से प्रदर्शित करने के लिए सीएनअाई का एक प्रतीक चिन्ह -मोनो तय किया। मशहूर कलाकार फ्रेंक वैस्ली ने एकता, गवाही व सेवा को सुंदर तरीके से उकेरा। इसमें रेड सर्कल के जरिए अनंज जीवन का दर्शाया गया। गोल्डन क्रास पूरे िवश्व में मसीहियों को मान्य व स्थापित क्रूस का िनशान उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह की याद दिलाता है। इसमें क्रिशचियन अपना नाम पाते हैं। यह क्रूस, समर्पण व त्याग व बलिदान के लिए जाना जाता गोल्ड हेड सुनहरे मुकुट का प्रतीक है। गोल्ड इस ए साइन ऑफ विक्ट्री। क्रूस यीशु मसीह की मृत्यु पर विजय का सूचक है।

रेड बेक ग्राउंड : लाल रंग खून का होता है। इसे पवित्र उपासना का रंग कहा जाता है। इसी वजह से पादरियों के स्टोल का रंग लाल होता है। कमल का फूल :  क्रास के पीछे कमल का फूल है। यह कमल राष्ट्रीय फूल है। सभी धर्मों में इसे शुभ व पवित्र माना जाता है। इसकी सफेद पंखुड़ियां पवित्रता को दर्शाती हैं। यह हमें उपर उठकर काम करने की प्रेरणा देता है।
कटोरा:  प्रतीक चिन्ह के मध्य में कटोरा है। यह प्रभु की ब्यारी में उपयोग में लाया जाता है। इसके द्वारा ही मसीही पवित्र संस्कार प्रभु भोज में शामिल होते हैं। पवित्र लोहू रूपी दाखरस को पीते हैं। जो क्रूस पर पापियों के लिए बहाया गया। लाल पृष्ठ भूमि में सुनहरा कटोरा केंद्र में स्थापित किया गया। इसलिए कि हमारे जीवनों का अौर अाराधना का केंद्र बिंदु प्रभु भोज रहे। उद्देश्य – बाहरी गोले में तीन प्रमुख शब्द हैं एकता, गवाही व सेवा। यह सीएनअाई में हर िवस्वासी को एक रूप में बांधता है। इसी दर्शन को पूर्वजों ने देखा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *