विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष लेख : पर्यटन के असीम संभावनाओं का गढ़ कोरिया अंचल…

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रायपुर, 26 सितम्बर 2023 : जब हम अपने देश से किसी दूसरे देश में पर्यटन के लिए जाते हैं या कोई अन्य देश से हमारे देश में पर्यटन के लिए आता है तो देशों के बीच परस्पर मैत्री संबंधों का विस्तार होता है और दोनों देशों की सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास की गति सुनिश्चित होती है। विश्व पर्यटन संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की ही एक अंगीकृत संस्था है, जिसकी स्थापना साल 1976 में हुई थी। इस संस्था का मुख्यालय मेड्रिड स्पेन में है लेकिन इसको बनाने का संविधान 27 सितंबर 1970 को ही पारित हुआ था जिस कारण इस दिन हर साल विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है।

 

इसी कड़ी में हम छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग खासकर कोरिया जिले के आसपास के पर्यटन स्थलों का जिक्र करने जा रहे हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश राज्य में 25 मई 1998 को कोरिया को जिला का दर्जा मिला था। जिला कोरिया का नाम यहां के पूर्व रियासत कोरिया से लिया गया है। जिला बनने से पहले यह क्षेत्र सरगुजा जिले के अंतर्गत था।

प्रकृति की गोद में बसे और हरियाली की चादर से ढंके कोरिया जिला विभिन्न विविधताओं से भरे हैं।

 

वर्षा ऋतु में जब प्रकृति अपने सौन्दर्य की चरम-सीमा पर होती है तो कोरिया जिले की कुछ महत्वपूर्ण नदियों पर बनने वाली जलप्रपात को भी सुन्दरता प्रदान करती है। यह जलप्रपात स्वतः ही अपनी सुन्दरता बिखेरती है।कोरिया जिले के आसपास कई ऐसे जलप्रपात हैं, जो विहंगम दृश्यों को परिचित कराती है और उस जगह से नजर हटाने का मन भी नहीं करती। हसदेव नदी के उद्गम स्थल भी कोरिया जिले को माना जाता है। कोरिया जिले के आसपास घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, हसदेव नदी पर गौरघाट, च्युल जलप्रपात, अकुरी नाला जलप्रपात, अमृतधारा जलप्रपात, गेज परियोजना, झुमका बोट, कोरिया पैलेस आदि हैं, तो रामगढ़ स्थित जोगीमारा एवं सीताबंेगरा गुफा में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ प्रवास किया था।

 

माना जाता है कि रामगढ़ स्थित गुफाओं में श्रीराम की महर्षि विश्रवा से भंेट हुई। इस स्थान पर एक प्राचीन नाट्यशाला स्थित है। माना जाता है कि यहां की पहाड़ियों पर कालिदास ने मेघदूतम महाकाव्य की रचना की है। यहां स्थित गुफा में प्राचीन शैलचित्र में अंकित है। वैसे तो सम्पूर्ण सरगुजा संभाग अपनी प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है। सरगुजा जिले के महेश्पुर, उदयपुर से केदमा मार्ग पर जाना पड्ता है। यहां दसवीं शताब्दी की प्राचीन शिव मंदिर, छेरिका देउर के विष्णु मंदिर, आठवीं शताब्दी तीर्थकर वृषभ नाथ प्रतिमा जैसे अनेक स्थल हैं। सरगुजा जिले में ही देवगढ प्राचीन काल की ऋषि यमदग्नि की साधना स्थल रही है। इसके अलावा अनेक मठ, पुरातात्विक कलात्मक मूर्तियां एवं प्राकृतिक सौंदर्य है। रामगढ पर्वत टोपी आकार में है। इसी जिले में ही प्राकृतिक वन सुषमा के बीच कैलाश गुफा स्थित है। इसे संत रामेश्वर गहिरा गुरूजी ने पहाड़ी चटटानो को ताराश कर निर्मित करवाया है। मैनपाट को छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता है। मैंनपाट विन्ध पर्वतमाला पर स्थित है। यहां सरभंजा जल प्रपात, टाइगर प्वाइंट, मछली प्वांइट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।

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