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महासमुंद, 20 सितम्बर 2023: राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना “नरवा, गरूवा, घुरूवा अऊ बाड़ी योजना“ के तहत “नरवा विकास“ को जिले में क्रियान्वित किया जा रहा है। नरवा विकास के तहत उपचार योग्य 44 नरवा, नालों का जीर्णोद्धार किया गया है। विदित हो प्राकृतिक रूप से बहने वाले नरवा/नाला प्रकृति की एक अमूल्य धरोहर है, जो आज किसी कारणवश विलुप्त होते जा रहे है अथवा जलस्तर की कमी की वजह से क्रियान्वित नहीं है। नरवा/नाला प्रकृति द्वारा प्रदत्त जल का एक उत्तम स्त्रोत है, जो अपने आस पास में लगे राजस्व भूमि में सिंचाई की सुविधा प्रदान करता है एवं वन्यजीवों को भी जल उपलब्ध कराता है। “नरवा विकास“ के तहत नरवा/नाला के जीर्णोद्धार से कृषकों एवं वन्यजीवों, साथ ही साथ जलस्तर में वृद्धि करना “नरवा विकास“ का मूल संकल्प है।
इसी तारतम्य में नरवा विकास के तहत महासमुंद वन मंडल के वन परिक्षेत्र बागबाहरा अंतर्गत वर्ष 2020-21 में बागबाहरा परिक्षेत्र के आमाकोनी परिवृत्त के परिसर चोरभट्ठी के अंतर्गत कक्ष क्रमांक 103, 105, 106 बगनई नाला को उपचारित किया गया, बगनई नाला की कुल लंबाई 15.00 किमी. है एवं जल संग्रहण क्षेत्र का रकबा 802.00 हेक्टेयर है। जिसमें वन क्षेत्र का भू-जल संरक्षण एवं मृदा संरक्षण का उपचार किया गया। बगनई नाला के सुधार के लिए ब्रशवुड वेकडेन (160 नग) एवं डाईक (5 नग) संरचना के निर्माण किया गया। बगनई नाला के सुधार कार्य में ग्राम चोरभट्ठी के ग्राम वासियों को 2748 मानव दिवस के आधार पर 80 ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। उक्त निर्मित संरचना से लगभग 13.00 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई में सहयोग मिला है, जिससे लगभग 10 से 12 कृषक लाभान्वित हुए है। फलस्वरूप कृषक दोहरे फसल लगा रहे है, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि हुई। “नरवा विकास“ वर्तमान ही नहीं अपितु भविष्य में जल की कमी की समस्या को दूर करने में अत्यंत प्रभावी सिद्ध होगा।
नरवा विकास योजना से बगनई नाला के जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया गया, बगनई नाला के जल स्रोतों को उपचारित करने से भूमि जल स्तर में सुधार एवं मृदा क्षरण को रोकने में अपनी महती भूमिका निभाई है। जिससे भू जल आधारित स्रोतों जैसे कुआ, बोर, हैंडपंप आदि में लम्बे समय तक जल उपलब्ध रहेगा। भू जल स्तर रकबा में वृद्धि के साथ जैव विविधता की स्थिति बेहतर हो रही है, वन्य प्राणियों के वनक्षेत्र के बाहर आबादी क्षेत्र में आने से होने वाली घटनाओं में कमी हो रही है, उक्त योजना से वनक्षेत्र में जल वृद्धि होने से वन्य प्राणियों के लिए अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हुआ है, साथ ही साथ योजना से सिंचाई क्षेत्रों में वृद्धि होने लगा है।