तंबाकू नियंत्रण नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्यशाला का आयोजन…

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– क्षेत्रिय परामर्श कार्यशाला में 10 राज्यों के प्रतिनिधि हुए शामिल 

– आने वाली पीढ़ी को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए महिलाओं द्वारा तंबाकू उपयोग को रोकने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत – डॉ. नागरिया

रायपुर, 22 अप्रैल 2022, देश में तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम और तंबाकू नियंत्रण नीतियों के कार्यान्वयन को समझने और देश के विभिन्न जनसांख्यिकीय क्षेत्रों में तंबाकू नियंत्रण नीतियों के कार्यान्वयन में विभिन्न चुनौतियों और उसके अनुसार ही आगामी रणनीति तैयार किए जाने के उद्देश्य से आज यहाँ एक कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

“तंबाकू नियंत्रण नीतियों पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यशाला” का आयोजन इंस्टिच्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ बैंगलुरू, इंडियन अलायंस, द यूनियन, पं. जवाहर लाल नेहरु चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर एवं इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंन्टिंग एण्ड सोशल मेडिसिन रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था।

संचालक स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ नीरज बंसोड़ एवं अधिष्ठाता पं. जेएनएम मेडिकल कॉलेज रायपुर डॉ. तृप्ति नागरीया ने सत्र का उद्घाटन कियाI उन्होंने तंबाकू नियंत्रण नीतियों में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। साथ ही तंबाकू नियंत्रण की दिशा में आने वाली चुनौतियों के संबंध में भी चिंता व्यक्त की।

विशेषज्ञों ने रखी अपनी राय – कार्यशाला में अधिष्ठाता चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर डॉ. तृप्ति नागरिया ने महिलाओं द्वारा तंबाकू का उपयोग किये जाने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा “महिलाएं एक स्वस्थ परिवार की धूरी हैं, अगर वह ही तंबाकू का उपयोग करती हैं तो आने वाली पीढ़ी को नशे के गिरफ्त से नहीं बचाया जा सकता है। इस दौरान उन्होंने महिलाओं को तंबाकू से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से अवगत भी कराया। साथ ही साथ तंबाकू उपयोग के नियंत्रण के लिए सभी को साथ मिलकर कार्य करने और सभी वर्ग के लोगों को जागरूक किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। आईपीएच, बेंगलुरू की सहायक निदेशक डॉ. प्रगति हेब्बार ने कहा आईपीएच द्वारा इस परामर्श कार्यशाला का आयोजन अनुष्ठाना परियोजना के अंतर्गत किया जा राह है। यह कार्यशाला इस बात पर केंद्रित है कि देश भर में तंबाकू नियंत्रण नीतियों को कैसे लागू किया जा रहा है और इसे और बेहतर कैसे किया जा सकता है।

द यूनियन के वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार डॉ. अमीत यादव द्वारा तंबाकू नियंत्रण हेतु कोटपा एक्ट 2003 (सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट, 2003) यानि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 के प्रवधानों से अवगत कराया। इस दौरान उन्होंने देश में संचालित प्रभावी नीतीयों जैसे – खाद्य सुरक्षा अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम आदि के उचित क्रियान्वयन पर बल देते हुए कहा कि इससे तंबाकू नियंत्रण की दिशा में बेहतर प्रयास किये जा सकते हैं, जिससे तम्बाकू उद्योंगों द्वारा नई पिढी को जोडने के प्रयास को रोका जा सकता है।

विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने किया मंथन – कार्यक्रम में मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा, पंजाब, असम के अधिकारी एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। उपस्थित प्रतिभागियों द्वारा समूह चर्चा के माध्यम से समुदाय को तंबाकू एवं तंबाकू उत्पादों के उपयोग एवं उपभोग के लिए हतोत्साहित करने एवं इसके हानीकारक प्रभावों से बचाने हेतु विभिन्न विभागों जैसे पुलिस, शिक्षा, नगरीय निकाय, स्वास्थ्य, सामाजिक संस्थाओं, मीडिया, उच्च शिक्षा आदि की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया। प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव व कुछ सुझाव भी साझा किए, जिसमें तम्बाकू के उपयोग को नियंत्रित करने हेतु प्रवर्तन कार्य को गति प्रदान किया जाना, तंबाकू नियंत्रण के विषय से संबंधित कानूनों एवं दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन कराया जाना एवं सभी विभागों सहित सामाजिक संगठनों के बीच उचित समन्वय स्थापित कर कार्य किया जाना मुख्य है।

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