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चैत्र नवरात्र को लेकर तैयारियां चल रही हैं। घरों से लेकर मंदिरों में माता का दरबार सजाने के लिए अंतिम रूप दिया जा रहा है। दो अप्रैल से चैत्र नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। इस बार कोविड के नियमों को लेकर बंदिशें कम हो गई हैं, जिसको लेकर मां के भक्तों में खासा उत्साह है।
बताते चलें कि बीते वर्ष चैत्र नवरात्र में कोविड के चलते मंदिरों में श्रद्धालु नहीं पहुंच पा रहे थे। लेकिन इस बार अभी ऐसी कोई बंदिश नहीं है। जिसके चलते नवरात्र महापर्व को लेकर तैयारियां को अंतिम रूप दिया जा रहा है। दुर्गा पूजा के लिए मूर्ति निर्माण और देवी मंदिर में साफ सफाई व घरों में कलश स्थापना के लिए श्रद्धालुओं द्वारा तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बाजारों में पूजन सामग्री से लेकर माता के श्रंगार के लिए वस्त्र चूनर, धूप दीप नारियल, कलावा, ध्वजा आदि पहले से ही लेकर रखी जा रही है।
बता दें विश्वविख्यात नैमिषारण्य तीर्थ में नवरात्र में लाखों श्रद्धालु मां ललिता देवी के दर्शन के लिए देश विदेश से आते हैं। वहीं महमूदाबाद के संकटा देवी मंदिर में भी भारी संख्या में श्रद्धालु नवरात्र में पहुंचते हैं। जिसको लेकर पुलिस प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्क हो गया है। देव स्थानों की साफ-सफाई सहित स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर इंतजाम किए गए हैं।
रामनवमी 10 अप्रैल रविवार को है। वहीं शनिवार 09 अप्रैल को दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी। जो सम्पूर्ण नवरात्र व्रत रखते है वो 11 अप्रैल दशमी सोमवार को सुबह सात बजे व्रत का पारण करेंगे। हवन अष्टमी नवमी दोनों दिन होंगे। कुमारी भोजन नवमी को होगा।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त:
आचार्य सदानन्द द्विवेदी ने बताया कि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त दो अप्रैल प्रात: 05:51 से 08:22 तक विशेष शुभ है। उसके बाद अभिजित मुहूर्त 11:36 से 12:22 के मध्य शुभ है। देवी का आगमन अश्व (घोड़ा) पर है, इस कारण राजाओं में शत्रुता रहेगी।