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(विश्व टीबी दिवस विशेष)
महासमुंद, 23 मार्च 2020, मितानिन के रूप में कार्य करते हुए बसना, महासमुंद की आरती डडसेना ने समुदाय में बहुत से बदलाव देखे हैं। वर्ष 2013 से अब तक मितानिन आरती के अथक प्रयासों और सराहनीय कार्यों की वजह से गांव में जहां संस्थागत प्रसव, किशोरी स्वास्थ्य एवं माहवारी स्वच्छता के प्रति लोगों की मानसिकता बदली है, वहीं अब भी लोग क्षय रोग या टीबी की बीमारी को छिपाते हैं। इसलिए आरती समुदाय में टीबी मरीजों की स्थिति में बदलाव लाने के लिए प्रयासरत हैं, टीबी से जंग जीतने के लिए टीबी मरीजों और समुदाय को प्रेरित करने में जुटी आरती का कहना है“ टीबी रोगियों और उनके प्रति सामाजिक चेतना जगाने की बहुत जरूरत हैं।“
आरती कहती हैं “स्वास्थ्य विभागीय सभी कार्य के साथ ही टीबी का डोर-टू-डोर सर्वे का कार्य कर रही हूं परंतु टीबी रोगियों की पहचान, देखभाल और ऐसे लोगों के प्रति सामाजिक चेतना जगाने की अभी और जरूरत महसूस हो रही हैI आज भी लोग टीबी की बीमारी को छिपाते हैं, वास्तविकता यह है कि टीबी या क्षय रोग उतना भी गंभीर नहीं है, जितना लोग समझते हैं। टीबी के लक्षण मिलने पर घबराने की बजाए मरीजों और उनके परिजनों को इलाज कराना चाहिए ताकि इस बीमारी से शीघ्र निजात पाई जा सके। डॉट्स पद्धति के जरिए इसका पूरा कोर्स लेने से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।“
आरती का कहना है “टीबी रोगियों की पहचान कर उन्हें इलाज के लिए प्रेरित करना और उनके मन में आने वाले विचारों को दूर कर इलाज के लिए उन्हें प्रेरित करना कई बार काफी मुश्किल कार्य लगता है। “ समाज के हर व्यक्ति की भलाई और तरक्की की चाहत रखते हुए 2013 से आरती मितानिन के रूप में कार्य कर रही हैं। इन्होंने मितानिन कार्यक्रम के माध्यम से समुदाय में कई बदलाव करने की कोशिश भी की है।
केद्रीय टीम के साथ टीबी सर्वे- महासमुंद जिले के बसना विकासखंड के उमरिया में बीते 4 मार्च से 16 मार्च तक केन्द्रीय टीम ( दिल्ली) के साथ टीबी के सर्वे का कार्य किया गया। कुल 480 घरों का डोर-टू-डोर सर्वे का कार्य मितानिन आरती डडसेना, कमला पटेल, निलेन्द्री पटेल, लालकुंवलर पटेल द्वारा किया गया। इस दौरान 45 व्यक्तियों का बलगम जांच किया गया, जिसमें तीन व्यक्ति टीबी पॉजिटिव मिले जिनका उपचार किया जा रहा है।
समुदाय में स्वास्थ्य के प्रति सब हैं जागरूक – मितानिन आरती की मेहनत का नतीजा ही है आज समुदाय में सब स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैंI सभी उसकी सलाह भी मानते हैं। लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था। कम शिक्षित होने की वजह से कई बार उन्हें रजिस्टर भरने और नवीन कामकाज और जिम्मेदारियों को वहन करने में थोड़ी परेशानी होती है। परंतु उनकी मदद उनके बच्चे और पति करते हैं। यहां तक की उनका बेटा ज़रूरत पढ़ने पर गर्भवती महिलाओं और बीमार बच्चों के साथ स्वास्थ्य केंद्र भी चला जाता है। गांव की पंचायत से मदद लेकर आरती सबको स्वास्थ सेवाएँ उपलब्ध करा रही हैं ताकि सभी स्वस्थ्य रहें।