राज्य के ”मोर मयारू गुरूजी” कार्यक्रम को मिला राष्ट्रीय सिल्वर स्कोच अवार्ड…

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ देश में अपनी अलग पहचान बना रहा है। बघेल ने नेतृत्व में जनहित में लागू की गई योजनाओं के क्रियान्वयन एवं उनके मानिटरिंग को लेकर छत्तीसगढ़ में उत्कृष्ट रूप से कार्यों का संपादन हो रहा है और इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ को लगातार पुरस्कार मिल रहे हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ ने एक और राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के ”मोर मयारू गुरूजी” कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर स्कोच अवार्ड प्राप्त हुआ है। इस सम्मान को इंडिया हैबिटेट सेन्टर नई दिल्ली में एक बड़े गरिमामय कार्यक्रम में आज स्कोच फाउण्डेशन द्वारा प्रदान किया गया । इस सम्मान को महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया और आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम ने प्राप्त किया । इस अवसर पर आयोग के सचिव श्री प्रतीक खरे एवं आयोग की सदस्य श्रीमती पूजा खनूजा उपस्थित थे। सम्मान प्राप्त करने उपरांत अपने उद्बोधन में अनिला भेड़िया ने कहा कि बच्चों की मानसिकता को देखकर-समझकर शिक्षकों को बच्चों से व्यवहार करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम की शुरूआत की गयी है।

इस अवसर पर आयोग के सचिव श्री प्रतीक खरे एवं आयोग की सदस्य श्रीमती पूजा खनूजा उपस्थित थे। सम्मान प्राप्त करने उपरांत अपने उद्बोधन में अनिला भेड़िया ने कहा कि बच्चों की मानसिकता को देखकर-समझकर शिक्षकों को बच्चों से व्यवहार करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम की शुरूआत की गयी है। इस सम्मान समारोह में छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड और वन विभाग बालोद को भी अवार्ड प्राप्त होने पर उन्होंने बधाई दी ।

उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त होता है तो काम करने वालों का हौसला बढ़ जाता है । उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्कोच अवार्ड एक अत्यंत प्रतिष्ठित सम्मान है जो कि 07 चरणों की चरणबद्ध प्रक्रिया को पार करने के उपरांत ही प्राप्त होता है । यह अवार्ड महिला एवं बाल विकास की श्रेणी में बाल संरक्षण के क्षेत्र में ”मोर मयारू गुरूजी” कार्यक्रम के नवाचार पर दिया गया है। ”मोर मयारू गुरूजी” कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों के बच्चों पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव को रूचिकर तरीके से बताते हुए उन्हें जागरूक किया जाता है। बच्चों से व्यवहार करते समय या सम्पूर्ण शिक्षा के दौरान शिक्षक के चरित्र तथा व्यक्तित्व का बच्चों पर असर पड़ता है और यदि इसका सजगतापूर्वक ध्यान रखा गया तो बच्चों को नैतिकता और उत्तम चरित्र प्रदान कर बाल अधिकारों की रक्षा संभव है । आयोग द्वारा अब तक इस कार्यक्रम में विभिन्न जिलों एवं राज्य स्तर पर लगभग 2000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और भविष्य में इसे जिला स्तर तक विस्तार करने की भी योजना है ।

 

 

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