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रायपुर, 20 अक्टूबर 2022 : छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 1 नवम्बर से 3 नवम्बर तक राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में होने वाले 23वें राज्योत्सव एवं राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव तथा राज्य अलंकरण समारोह की तैयारियां जोरों पर है। राज्योत्सव एवं आदिवासी नृत्य महोत्सव का गरिमामय एवं भव्य आयोजन के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देशित भी किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा इस आयोजन को और भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए देश के सभी राज्यों केन्द्र-शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों व प्रमुखों सहित विभिन्न देशों व गणराज्यों के प्रतिनिधियों को भी राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होने व अपने देश की कला-संस्कृति, परम्परा, उत्सव आदि पर आधारित नर्तक दलों को लेकर महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।
राज्योत्सव एवं राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश के देश के विभिन्न राज्यों के आदिवासी कलाकारों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की ओर से प्रदेश के जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ आदिवासियों द्वारा अलग-अलग राज्यों में जाकर वहंा के मुख्यमंत्रियों के साथ ही केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशाषकों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। इसी कड़ी में संसदीय सचिव श्री गुरूदयाल बंजारे ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर को, संसदीय सचिव श्री द्वारिकाधीश यादव ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री मानिक साहा को विधायक श्री दालेश्वर साहू ने पुद्दुचेरी के मुख्यमंत्री श्री रंगास्वामी को, संसदीय सचिव श्री शिशुपाल सोरी ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव श्री अरूण मेहता को और लघु वनोपज संघ के जीएम श्री एस. मनीवासगन ने तमिलनाडु सरकार के उद्योग मंत्री श्री थांगम थेन्नारासु को आमंत्रित किया है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की आदिवासी कला संस्कृति, रीति-रिवाज, उत्सव, परम्परा के संरक्षण एवं संवर्धन तथा देश के राज्यों सहित विश्व के अन्य देशों में निवासरत आदिवासी लोगों के कला-संस्कृति के आदान-प्रदान के उद्देश्य से भव्य आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन शुरू किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए पिछले वर्ष भारत के 25 राज्यों के 1400 से अधिक कलाकारों ने हिस्सा लिया, वहीं श्रीलंका, बेलारोस, युगांडा, बांग्लादेश सहित छः से अधिक देशों के मेहमान कलाकारों ने अपने देश की कला-संस्कृति की छटा बिखेरी थी।