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नवरात्रि में पांचवें दिन की पूजाः शारदीय नवरात्रि में पंचमी तिथि का आगमन आज 30 सितंबर को सुबह 12 बजकर 10 मिनट से हो रहा है, जो रात 10 बजकर 34 मिनट तक रहेगी.
नवरात्रि में पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. 26 सितंबर से शुरू हुए शारदीय नवरात्रि 2022 में स्कंदमाता की पूजा अश्विन शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन होगा. यह तिथि 30 सितंबर को पड़ रही है. स्कंदमाता मोक्ष का द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजी जाती हैं. मान्यता है कि ये भक्तों की सभी मनोकामना पूरा करती हैं. इनकी उपासना से संतान सुख भी मिलता है.
मां स्कंदमाता का स्वरूपः पौराणिक ग्रंथों में स्कंदमाता की चार भुजाएं बताई गईं हैं. स्कंदमाता यानी मां गौरी का वाहन शेर है, जबकि भगवान स्कंद बाल रूप में माता की गोद में रहते हैं. नीचे वाली भुजा में कमल का फूल है, बाईं वाली भुजा वर देने की मुद्रा में है. अपने गौर वर्ण के कारण मैया गौरी भी कही जाती हैं.
मां स्कंदमाता पूजा विधि
ध्यान के दौरान इस मंत्र का जाप करें
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर ने शिव पुत्र के ही हाथों मृत्यु का वरदान पा लिया था. उसके दिमाग में था शिव वैरागी हैं तो शिव पुत्र का जन्म ही नहीं होगा. बाद में राक्षस को कर्मों का दंड देने के लिए विधि के विधान के अनुसार शिव और शिवा के पुत्र का जन्म हुआ. मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के मकसद से स्कन्द माता का रूप धरा. कहा जाता है कि स्कंदमाता से युद्ध का प्रशिक्षण लेने के बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया और देवता-मानव की रक्षा की.
मां स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंदमाता, पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी।
जय तेरी हो स्कंदमाता.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।
जय तेरी हो स्कंदमाता.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरो में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
जय तेरी हो स्कंदमाता.
भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
जय तेरी हो स्कंदमाता.
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
दास को सदा बचाने आईं, चमन की आस पुराने आई।
जय तेरी हो स्कंदमाता.