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रायपुर। सीम भूपेश बघेल ने आज अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह दिवस अक्षरों की अलख जगाने का दिन है, अक्षर ज्ञान की महत्ता बताने का दिन है। यह अक्षर ज्ञान के प्रकाश से समाज में सुख और समृद्धि फैलाने का संकल्प लेने का दिन है। और भी जानें अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का विचार सबसे पहले 1965 में निरक्षरता को खत्म करने के लिए ईरान द्वारा आयोजित विश्व शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान प्रस्तावित किया गया था. सम्मेलन के अलगे साल, यूनेस्को ने पहल की और 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में स्थापित किया, जिसका मुख्य लक्ष्य “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को व्यक्तियों, समुदायों और समाजों के लिए साक्षरता के महत्व की याद दिलाने, और अधिक साक्षर समाजों की दिशा में गहन प्रयासों की जरूरत पर जोर देना है.’ वर्ल्ड कम्युनिटी ने एक साल बाद पहले अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस में भाग लेकर निरक्षरता को मिटाने का लक्ष्य रखा. तभी से हर साल 08 सितंबर को इंटरनेशनल लिटरेसी डे मनाने की शुरुआत हुई थी. 1967 के बाद से, यूनेस्को के प्रयासों में सबसे आगे, दुनिया भर के लोग अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (ILD) पर एक साथ आए हैं ताकि इस बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके कि एक मानव अधिकार के रूप में साक्षरता कितनी महत्वपूर्ण है. यूनेस्को के अनुसार, हाल के वर्षों में दुनिया के लगातार बदलते संदर्भ का महत्व बढ़ा है, और इसने वैश्विक साक्षरता परियोजनाओं के विस्तार को धीमा कर दिया है. भले ही सुधार हुए हों, लेकिन दुनिया में अभी भी 771 मिलियन लोग ऐसे हैं जो पढ़ या लिख नहीं सकते हैं. इनमें अधिकतर महिलाएं हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, COVID-19 महामारी के कारण 24 मिलियन से अधिक छात्र कभी स्कूल नहीं लौटे, जिनमें से 11 मिलियन लड़कियां हैं. इसी परिस्थिति को बदलने के लिए साक्षरता दिवस मनाने का महत्व बढ़ जाता है.