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Navratri Day 5 Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि के पंचमी तिथि पर माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण देवी के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है, जो कमल के आसन पर विराजमान रहती है। 02 अप्रैल को माता स्कंदमाता की विधिवत पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्तिधर कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बाल रूप में उनकी गोद में विराजित है। जानें, स्कंदमाता की पूजा का उत्तम मुहूर्त, विधि, पसंदीदा रंग, फूल, और भोग के बारे में-
आज चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन कब करें पूजा? जानें पूजा मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त 04:38 से 05:24
प्रातः सन्ध्या 05:01 से 06:10
अभिजित मुहूर्त कोई नहीं
विजय मुहूर्त 14:30 से 15:20
गोधूलि मुहूर्त 18:38 से 19:01
सायाह्न सन्ध्या 18:40 से 19:49
अमृत काल 06:39 से 08:06
निशिता मुहूर्त 00:01, अप्रैल 03 से 00:47, अप्रैल 03
04:04, अप्रैल 03 से 05:33, अप्रैल 03
रवि योग 06:10 से 08:49
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन
विधि: सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें। दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें। मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें। सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं। प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं। दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता स्कंदमाता की आरती करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करें। मान्यताओं के अनुसार, स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से अद्भुत शक्ति का संचार होता है और सभी संकटों का नाश होता है। संतान की कामना करने वालों को मां के इस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।
स्कंदमाता मां का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां स्कंदमाता का प्रिय भोग- फल, केला, सफेद मिठाई, मिश्री, खीर
मां स्कंदमाता का प्रिय रंग- सफेद, लाल
मां स्कंदमाता का प्रिय फूल- लाल रंग के फूल, गुलाब, गुड़हल