विश्व जल दिवस पर विशेष : हर मंजर ये कह रहे हैं कि जल है तो जीवन है…

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कविता

विश्व जल दिवस पर विशेष

हर मंजर ये कह रहे हैं कि जल है तो जीवन है…

याद रखना कि दूर तलक जाए ये बात

 

हर मंजर ये कह रहे हैं कि जल है तो जीवन है…

माना कि वक्त जरा कठिन है, लेकिन मुश्किल नहीं राह है

अब भी नहीं हुई है देर, मिलकर कदम बढ़ाएंगे

करेंगे जल का संरक्षण और पौधे लगाएंगे

 

याद रखना कि दूर तलक जाए ये बात

जागृति का यह संदेश हर घर तक पहुंचाएंगे

 

ये मौसम, पौधे, ये हरीतिमा ये फूल, ये रागिनी, बादल, ये मुस्कान

सब को तो तलाश है जल की जीवन की

 

पानी पड़ते ही बीज की कोपल जब अंकुरित होती है,

एक जीवंत कहानी बनती है, खुशियों की

 

जब ग्लोबल वार्मिंग से तापमान बढ़ता है

तपने और झुलसने लगती है यह धरती,

हीट वेव के प्रकोप से असहनीय लगने लगती है ये दुनिया हमें

 

खोजने लगते हैं सब ओर वृक्ष, हरीतिमा और जल,

सभी मनुष्य, पक्षी और जीव-जंतु

मधुर लगती है ग्रीष्म ऋतु में वृक्षों की शीतल छांव

 

आने वाले कल की यही आवाज है, पौधे लगाएं, जल सहेजें, प्रकृति का संरक्षण करें

खूबसूरत लगती है यह हरीभरी मनोरम धरती, ये तरूवर और पुष्पों के बीच मकरंद के लिए गुंजार करते भौंरे, ये तितली, पक्षियों का कलरव, कल कल करती नदी..

 

जाने कब ये बात सच हो जाए, छोटे छोटे कदमों से जल संचयन की यह कोशिश साकार हो जाए

 

जब सभी होंगे एक तो बनेगी एक राह

जो हौसला हो तो असंभव कुछ भी नहीं,

अब भी नहीं हुई है देर, मिलकर कदम बढ़ाएंगे,

करेंगे जल का संरक्षण और पौधे लगाएंगे।

 

हर मंजर ये कह रहे हैं कि जल है तो जीवन है

माना कि वक्त जरा कठिन है, लेकिन मुश्किल नहीं राह है

अब भी नहीं हुई है देर, मिलकर कदम बढ़ाएंगे।

 

याद रखना कि दूर तलक जाए ये बात

जागृति का यह संदेश हर घर तक पहुंचाएंगे…

 

डॉ. उषा किरण बड़ाईक

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