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- ‘‘लू’’ में क्या करें और क्या ना करें
गरियाबंद, 19 मार्च 2025: जिले में लगातार मौसम परिवर्तन के बाद अब तेज धूप एवं गर्मी प्रारंभ हो गया है जिसके कारण ’’लू’’ लगने की संभावना है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जंगलों में जाकर महुआ संकलन का कार्य बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। लोग अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पानी एवं पेय पदार्थ पर्याप्त मात्रा में लेकर नहीं ले जाने के कारण निर्जलीकरण के शिकार भी हो जाते हैं। कलेक्टर श्री दीपक कुमार अग्रवाल के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी गरियाबंद डॉ. गार्गी यदु पाल ने जिला अस्पताल सहित समस्त सामुदायिक, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों के संस्था प्रभारियों को लू से बचाव एवं उपचार हेतु पर्याप्त मात्रा में आवश्यक जीवनरक्षक दवाईयां एवं ओ.आर.एस. की उपलब्धता सुनिश्चित कर मरीजों का उपचार करने का निर्देश दिये और मैदानी स्वास्थ्य अमलों के और मितानीनों के माध्यम से लू लगने के कारण और बचाव के उपायों के संबंध में स्वास्थ्य जागरुकता एवं प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिये गये। स्वास्थ्य केन्द्रों ’’लू’’ लगना खतरनाक एवं जानलेवा भी हो सकता है अतः उक्त परिस्थितियों के रोकथाम एवं प्रबंधन हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश के अनुरूप आवश्यक कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देश दिया गया।
लू के लक्षण – सिर में भारीपन और दर्द, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का न आना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख न लगना व बेहोश होना। लू से बचाव के उपाय- इसके लिए बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जाये। धूप में निकलने से पहले सर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध ले। पानी अधिक मात्रा में पिये। अधिक समय तक धूप में न रहे। गर्मी के दौरान मुलायम सूती कपड़े पहने ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे। अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पिये। चक्कर, उल्टी आने पर छायादार स्थान पर विश्राम करें। शीतल पेय जल पिये, फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श ले। उल्टी, सर दर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह ले।
लू लगने पर किया जाने वाला प्रारंभिक उपचार – बुखार से पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठंडे पानी की पट्टी लगायें, कच्चे आम का पना, जलजीरा आदि, पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लेटायें, शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करते रहें, पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र ही किसी नजदीकी चिकित्सा केन्द्र में उपचार हेतु ले जायें, आंगनबाड़ी मितानिन तथा ए.एन.एम. से ओ.आर.एस. की पैकेट के लिए संपर्क करें।
चिकित्सालयों में ’’लू’’ हिट स्ट्रोक के प्रबंधन एवं बचाव
बाह्य रोगी विभाग में आने वाले सभी मरीज़ों में लू के लक्षण की अवश्य जांच करें। प्रत्येक अस्पतालों में कम से कम दो बिस्तर इन मरीजों के लिए आरक्षित किया जाये। वार्ड में शीतलता हेतु कूलर अथवा अन्य उपाय किया जाये। बाह्य रोगी कक्ष में बैठने की उचित प्रबंध के साथ ठंडे पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाये। प्रत्येक मरीज को ’’लू’’ से बचाव की जानकारी अनिवार्य रूप से दी जाये, कि पर्याप्त मात्रा में पानी अवश्य पिये, छोटे बच्चों को कपड़े से ढ़ककर छाया वाले स्थान पर रखें। बाह्य रोगी विभाग में आने वाले सभी मरीजों का ’’लू’’ के लक्षण की जॉच अवश्य करें। प्राथमिक उपचार कक्ष में ओ.आर.एस. कार्नर बनाया जाये। बाह्य रोगी के ऐसे मरीज जिन्हें उपचार पश्चात् वापसी हेतु अधिक दूरी जाना है, को आवश्यकतानुसार ठहरने की व्यवस्था किया जाये। पर्याप्त मात्रा में इंट्रावेनस फ्लूइड, ओ.आर.एस. पैकेट, बुखार की दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये। अत्यधिक गर्मी से पीड़ित बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर रुप से बीमार व्यक्तियों के ईलाज हेतु अस्पताल में पर्याप्त व्यवस्था की जाये। सभी जिला तथा ब्लाक मुख्यालयों में कण्ट्रोल रुम स्थापित किये जाये। अत्यधिक प्रभावित स्थानों को चिन्हांकित किया जावे तथा उनके प्रबंधन हेतु मोबाईल चिकित्सा दल की व्यवस्था की जाये।