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रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने रविवार को दो पालियों में राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की, जिसमें छत्तीसगढ़ी के सवालों की अधिकता रही। पहली पाली की परीक्षा दोपहर 12 बजे खत्म हुई, जिसमें परीक्षार्थियों के चेहरे पर हल्की मुस्कान और थोड़ी उलझन देखी गई। हरिभूमि ने परीक्षार्थियों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि इस बार हिंदी में व्याकरण, छंद और जनरल नॉलेज के प्रश्न काफी आसान थे, लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा में पूछे गए कुछ मुहावरे जैसे सिरे पाव, खलताही बोली, जनजातियों के अनुष्ठांशीकार और कुडुक बोली ने उन्हें काफी परेशानी दूसरी पाली में सी-सेट के प्रश्नों में लाभ-हानि, ब्याज और बीजगणित से संबंधित प्रश्न आए, जो कि परीक्षार्थियों के लिए आसान थे।
पेपर में आए इन आसान सवालों से छात्रों के चेहरे पर खुशी साफ नजर आई, और वे उम्मीद जताते हुए परीक्षा केंद्र से बाहर निकले। पहली पाली में सामान्य अध्ययन व दूसरी पाली में सीसैट का एग्जाम हुआ। परीक्षा में पूछा गया कि 408 को छत्तीसगढ़ी में कैसे लिखेंगे? इसके अलावा भी छत्तीसगढ़ से जुड़े प्रश्नों की भरमार रही। सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्र में छत्तीसगढ़ में विवाह के समय दूल्हा- दुल्हन द्वारा पहने जाने वाले परंपरागत मौर किस वृक्ष की पत्तियों से बनाए जाते हैं? पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम उद्योग शिल्प केंद्र किस शहर में संचालित है, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबा पुरुषोत्तम दास का संबंध छत्तीसगढ़ के किस स्थान में था, छत्तीसगढ़ में स्टैंड अप इंडिया योजना के लिए कौन पात्र है, भोजली त्यौहार के लिए छोटी-छोटी टोकरियों में अनाज किस विशेष तिथि को बोया जाता है, छत्तीसगढ़ के किस जिले में सौर विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित किया गया है, कौन सी नदी महानदी की दाहिने तटवर्ती सहायक नदी है,छत्तीसगढ़ी कहावत जांगर के चलत ले का अर्थ। इस तरह के सवाल पूछे गए।
विवादास्पद नहीं थे सवाल
सीजीपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा में शामिल परीक्षार्थी दिव्या ने परीक्षा के बाद कहा कि इस बार पेपर का स्तर अच्छा था। दोनों पाली के पेपर में किसी भी तरह का विवादास्पद सवाल नहीं था। हिंदी के व्याकरण और छंद के सवाल भी ज्यादा कठिन नहीं थे और जनरल नॉलेज में बजट और नाट्य शास्त्र से संबंधित आसान प्रश्न पूछे गए थे। हालांकि, दिव्या ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा के कुछ प्रश्न जैसे सिरे पाव और खलताही बोली ने थोड़ी उलझन पैदा की। इस बार के पेपर को लेकर परीक्षार्थी उत्साहित दिखे, क्योंकि पेपर को उन्होंने पहले से अधिक सुलभ और समझने योग्य पाया।
कुछ मुहावरे पहले बार पढ़ने को मिले
परीक्षार्थी झम्मन ने कि इस बार छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रश्नों ने उन्हें थोड़ा उलझन में डाल दिया। उन्होंने कहा कि इस बार सिरे पाव, खलताही बोली, जनजातियों के अनुष्टांशीकार, कुडुक बोली और छत्तीसगढ़ी में 408 को कैसे लिखा जाएगा, जैसे प्रश्न और मुहावरे पहली बार देखने को मिले। इन सवालों ने उनके दिमाग को सोचने पर मजबूर किया। हालांकि, झम्मन ने यह भी बताया कि इन प्रश्नों में अधिकतर सतही सवाल पूछे गए थे, जिनके उत्तर थोड़ा सोचने के बाद मिल सकते थे।
अकबर जगत गुरु’ की उपाधि ने किया सोचने पर मजबूर
परीक्षार्थी आकाश ने बताया कि, इस बार के इतिहास पेपर में अकबर जगत गुरु की उपाधि जैसे सवालों ने उन्हें थोड़ी देर सोचने पर मजबूर किया। ये सवाल कुछ हद तक विचारणीय थे और परीक्षार्थियों को अपनी समझ को परखने का अवसर दे रहे थे। वहीं, दूसरी पाली में सी-सेट में गणित के प्रश्न अपेक्षाकृत सरल था, जिसमें लाभ-हानि, बीजगणित और रिजनिंग से जुड़े सवालों की संख्या ज्यादा थी।
योजनाओं से जुड़े सवाल काफी आसान
परीक्षार्थी रविंद्र बघेल ने बताया कि, इस बार छत्तीसगढ़ी भाषा के कुछ प्रश्न उनके लिए थोड़ा कठिन थे, जो उन्हें परेशान करने वाले थे। हालांकि, सामान्य हिंदी में केंद्र सरकार की योजनाओं, आर्थिक सर्वेक्षण, इकोनॉमिक और अन्न दर्पण जैसी योजनाओं से जुड़े सवाल काफी आसान थे।