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Rights of Tenancy : किराए पर घर देना आज के समय में आम बात हो गई है। आज के समय में कई लोग किराये के घर में रहते हैं। अक्सर देखा जाता है कि जब भी कोई मकान मालिक घर किराए पर देता है तो अपना मालिकाना हक बनाए रखने के लिए रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) बनवाते हैं, रेंट एग्रीमेंट होने के बाद भी कई बार ऐसा होता है कि कई मकानमालिक किराएदारों पर अपनी मनमर्जी चलाते हैं। किंतु ऐसे विवादों से निपटने के लिए किरायेदारों (Tenant Rights ) के पास भी कुछ कानूनी अधिकार होते हैं।
किराए पर घर देने के लिए भी कई तरह के एग्रीमेंट किये जाते हैं, ताकि भविष्य में कोई विवाद न खड़ा हो सकें। हालांकि ये एग्रीमेंट किराएदारों और मकानमालिक दोनों पक्ष की सहमति से होता है। किंतु फिर भी मकान मालिक और किराएदारों (property rights of tenant) के कई ऐसे मामले सामने आते हैं, जिसमे अक्सर मकानमालिक अपने हिसाब से किराएदारों पर मनमर्जी चलाते हैं। ऐसे में आपको बता दें कि सरकार ने किराएदारों (property rights of tenant) के हक को लेकर भी नियम बनाए हैं। आइए जानते हैं किरायेदारों के अधिकारों के बारे में।
इस कंडिशन में किराएदार को 15 दिनों का नोटिस-
किराएदारों को मिले अधिकार के तहत मकानमालिक (Rights of landlord) अपनी मर्जी से किराएदारों को घर से निकाल नहीं सकते हैं। रेंट एग्रीमेंट में मेंशन समय सीमा से पहले मकान मालिक किराएदार को मकान से नहीं निकाल सकता।हालांकि यह जरूरी नहीं है।
अगर कभी ऐसा हो कि किराएदार ने 2 महीने से रेंट न दिया हो या फिर मकानमालिक की प्रोपर्टी का यूज इस्तेमाल कॉमर्शियल काम या किसी ऐसे काम के लिए कर रहा हो, जो रेंट एग्रीमेंट में उल्लेखित न हो तो ऐसी दशा में किराएदार (kiraydar ke adhikar) को मकान खाली करना पड़ सकता है। हालांकि नियमों के मुताबिक इसके लिए मकान मालिक को किराएदार को 15 दिनों का नोटिस देना पड़ता है।
किराया बढ़ाने के लिए मिलेगा नोटिस-
इसके साथ ही मकान मालिक (makan malik ke adhikar)अचानक से किराए में इजाफा नहीं कर सकता है। मकानमालिक को मकान के किराए को बढ़ाने को लेकर किराएदार को कम से कम तीन महीने पहले इसके लिए नोटिस देना चाहिए। इसके साथ ही किराएदार (kiraydar ke kanuni adhikar) के पास यह भी अधिकार है कि वह बिजली का कनेक्शन, पीने का साफ पानी पार्किंग जैसी सुविधाओं के लिए कह सकें। किराएदारों की मांग पर कोई भी मकान मालिक (landlord rights in law) इन सुविधाओं के लिए इंकार नहीं कर सकता।
सिक्योरिटी मनी को लेकर क्या है कानून-
इसके साथ ही रेंट एग्रीमेंट (rent agreement Rules) में सब चीजों की बारिकी से डिटेल होना बेहद जरूरी है। कानून के अनुसार कोई भी मकानमालिक किराएदारों से दो महीने से ज्यादा की सिक्योरिटी मनी (security money rules) नहीं ले सकता है। अगर ऐसा हो भी रहा है तो इसका उल्लेख रेंट एग्रीमेंट में होना बहुत जरूरी है। अगर किसी कारणवश मकानमालिक किराएदार को घर खाली करने को कह देता है तो ऐसे में मकानमालिक को एक महीने के भीतर किराएदार को यह रकम लौटानी होगी।
किसे कराना चाहिए मकान रेनोवेट-
रेंट एग्रीमेंट (rent agreement New rules) दोनों की सहमति से तैयार किया जाता है। इसमें दोनों के अधिकारों को ध्यान रखा जाता है। नियमों के अनुसार अगर रेंट एग्रीमेंट लागू हो जाता है और उसके बाद मकान का ढांचा खराब होता है तो उसे रेनोवेट कराने का हक मकानमालिक का होता है।
हालांकि किसी वजह से मकान मालिक (property Rights of owner) उसे रेनोवेट कराने की स्थिति में नहीं है, तो ऐसे में किराएदार के पास यह हक कि वह मकान का किराया कम करा सकें। अगर कोइ विवाद ज्यादा बढ़ता है तो ऐसी स्थिती में किराएदार रेंट अथॉरिटी से बातचीत कर सकता है।
बार-बार मकानमालिक नहीं कर सकेगा डिस्टर्ब –
एक बार अगर रेंट एग्रीमेंट (rent agriment ke niyam) लागू हो जाता है तो मकान मालिक बार-बार उसमे छेड़छाड़ नहीं कर सकता है और न ही से बार-बार डिस्टर्ब नहीं कर सकता हैं। अगर घर रिपेयर से जुड़े किसी काम या किसी जरूरी काम के लिए घर जाना चाहता है तो ऐस में उसे कम से कम 24 घंटे पहले किराएदार (property Rights of tenant) को लिखित में सूचना देनी होगी।
इसके साथ ही नियमों के अनुसार अगर किराएदार घर में नहीं है तो मकान मालिक उसकी गैर मौजुदगी में ताला नहीं तोड़ सकता है और न ही अंदर जा सकता है। इसके साथ ही उसका कोई सामान बिना सहमति से नहीं निकाल सकता है।