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रायपुर। इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। वहां गंगा, जमुना, सरस्वती के त्रिवेणी संगम तट पर पवित्र स्नान करने के लिए प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। छत्तीसगढ़ के गांव-गांव से हजारों श्रद्धालु प्रयागराज के महाकुंभ में दर्शन, स्नान करने जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में भी तीन नदियों का एक संगम स्थल है, जो राजिम कुंभ के नाम से प्रसिद्ध है। इसे छत्तीसगढ़ का छोटा प्रयागराज भी कहा जाता है। राजधानी रायपुर से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजिम में महानदी, सोंढूर और पैरी नदी का त्रिवेणी संगम स्थल है।
यहां हर साल माघ पूर्णिमा पर राजिम अर्ध कुंभ का आयोजन होता है। माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्र तक लगने वाले माघ पूर्णिमा मेले में श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचते हैं।
साधु, संतों के सान्निध्य में होगा शाही स्नान
देश शासन के नेतृत्व में होने वाले 15 दिवसीय आयोजन के दौरान माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर शाही स्नान करने श्रद्धालु उमड़ते हैं। सुबह से शाम तक पुण्य की डुबकी लगाई जाती है। शाही स्नान करने देशभर से साधु, संतों को आमंत्रित किया जाता है।
इस वर्ष कुंभ मेले का शुभारंभ 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा से हो रहा है, जो 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक चलेगा। 15 दिनों तक छत्तीसगढ़ी संस्कृति से ओतप्रोत गीत, लोक नृत्य, कथाचार्यों के प्रवचन एवं अन्य धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम मचेगी।
अनेक शहरों में नदियों के तट पर लगेगा माघ मेला
गांव गांव में पर्व, त्योहार, तिथि विशेष पर मेला मड़ई का आयोजन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मेला मड़ई में गांव के देवी-देवताओं को आमंत्रित करके पूजन किया जाता है। ग्रामीण परिवार सहित मेला का आनंद लेने आते हैं।
महिलाएं श्रृंगार सामग्री, मनिहारी और गृहस्थी संबंधी दुकानों में खरीदारी करती हैं। मेले में झूला, मीनाबाजार मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है। युवतियां झूला झूलकर और लोक गीत, नृत्य का आनंद लेती हैं। राजधानी के खारुन नदी के तट पर स्थित ऐतिहासिक हटकेश्वर महादेव मंदिर के चारों ओर माघ मेला लगता है।
राजधानी के अलावा 50 किलोमीटर दूर राजिम के त्रिवेणी संगम तट पर मेला लगता है। अन्य शहरों में राजधानी से 70 किलोमीटर दूर धमतरी शहर के रुद्री गांव में, 65 किलोमीटर दूर राजनांदगांव शहर के मोहारा बांध के किनारे, 70 किलोमीटर दूर महासमुंद के खल्लारी में भी माघ पूर्णिमा पर मेला लगता है।
पुण्य की डुबकी लगाने की मान्यता
माघ माह की पूर्णिमा तिथि को पुण्य फलदायी माना जाता है। ब्रह्ममुहूर्त से ही महादेव घाट पर पुण्य की डुबकी लगाने श्रद्धालु पहुंचने लगते हैं। स्नान करके हटकेश्वर महादेव का दर्शन करने लंबी कतार लगती है। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर पुण्य की डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति मिलती है और रोग ठीक होते हैं।
राजिम मेला 52 एकड़ क्षेत्र में लगेगा
राजिम कुंभ मेला 52 एकड़ क्षेत्र में लगाया जा रहा है। हेलीपैड भी बनाया गया है। गंगा आरती स्थल से नए मेला स्थल तक नदी किनारे कनेक्टिंग रोड का निर्माण किया गया है। दुकानों, विभागीय स्टाल, मीना बाजार, पार्किंग, अस्थाई शौचालय, दात-भात केंद्र, सीसीटीवी, कंट्रोल रूम, पेयजल आपूर्ति, लाइटिंग आदि सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
14वीं सदी में हुई थी पुन्नी मेला की शुरुआत
हटकेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पं. सुरेश गिरी गोस्वामी के अनुसार 14 वीं सदी में राजा ब्रह्मदेव ने संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होने पर हटकेश्वरनाथ की पूजा की थी। नदी के किनारे भव्य आयोजन करके प्रजा को भोज के लिए आमंत्रित किया था।
प्रजा के मनोरंजन के लिए झूले, नाच गाना और विविध खेलों का आयोजन किया था। कालांतर में यह परंपरा बन गई। वर्ष में तीन बार मेले का आयोजन होता है। पहला मेला कार्तिक पूर्णिमा पर, दूसरा मेला माघ पूर्णिमा और तीसरा मेला महाशिवरात्र पर लगता है।