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रायपुर, 01 फरवरी 2025: वनमंडलाधिकारी धरमजयगढ़ वनमंडल ने बताया कि छाल परिक्षेत्र स्थित बेहरामार परिसर में 31 जनवरी 2025 को एक वृद्ध मखना हाथी (नर हाथी) की मृत्यु हो गई। यह हाथी लगभग 60 वर्ष का था और पिछले दो माह से गंभीर रूप से बीमार था। हाथी के शरीर पर कई स्थानों, विशेषकर चारों पैर, ऊपरी उदर भाग और पुष्ट भाग में गहरे घाव थे, जिनसे लगातार मवाद (पस) निकल रहा था। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर, वन्यप्राणी चिकित्सकों ने 19 दिसंबर 2024 को करतला वन परिक्षेत्र (कोरबा वनमंडल) में इसका उपचार किया था। इसके बाद लगातार इसकी निगरानी की गई और चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार दवाएं दी जाती रहीं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 2 जनवरी 2025 को यह हाथी करतला वन परिक्षेत्र से धरमजयगढ़ वनमंडल के छाल परिक्षेत्र में प्रवेश कर गया, जहां इसकी स्थिति पर लगातार नजर रखी गई और दवाएं दी जाती रहीं। हाथी ट्रैकर्स, हाथी मित्र दल और वन विभाग के कर्मियों द्वारा लगातार उसकी गतिविधियों की निगरानी की गई। हालांकि, कुछ दिनों तक स्वास्थ्य में सुधार दिखा, लेकिन बाद में स्थिति बिगड़ने लगी। 29 और 30 जनवरी 2025 को हाथी की गतिविधियों में कमी देखी गई और वह दिनभर 10-12 घंटे तक एक ही स्थान पर रहने लगा। बेहतर उपचार के लिए 30 जनवरी 2025 को सूरजपुर जिले के रमकोला हाथी राहत एवं पुनर्वास केंद्र से दो कुमकी हाथी मंगवाए गए।
31 जनवरी 2025 को बेहरामार परिसर (छाल परिक्षेत्र) में वन्यप्राणी चिकित्सकों की समिति द्वारा कुमकी हाथियों की सहायता से उपचार किया जा रहा था। इसी दौरान हाथी अचानक बैठ गया और गहरी सांसें लेने लगा। शाम 4 बजे वन्यप्राणी चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शाम हो जाने के कारण शव विच्छेदन संभव नहीं था, इसलिए वनरक्षकों को सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात किया गया। 1 फरवरी 2025 की सुबह 9 बजे, जिला स्तरीय पशु चिकित्सकों की टीम ने शव विच्छेदन किया। रिपोर्ट के अनुसार, हाथी की मृत्यु गंभीर संक्रमण के कारण हुई। इसके बाद नियमानुसार 10×10 फीट का गड्ढा खोदकर उसका दफन किया गया। धरमजयगढ़ वनमंडल एक हाथी प्रभावित क्षेत्र है, जहां वन विभाग हाथियों की सतत ट्रैकिंग और निगरानी की जा रही है।