झारखंड की राजधानी रांची में भी गुइलेन-बैरे सिंड्रोम ने दी दस्तक, लक्षण दिखते ही पहुंचें अस्पताल…

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झारखंड की राजधानी रांची में भी गुइलेन-बैरे सिंड्रोम ने दी दस्तक, लक्षण दिखते ही पहुंचें अस्पताल…

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रांची : रहस्यमयी बीमारी गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) ने रांची में भी दस्तक दे दी है. इस बीमारी से ग्रसित साढ़े पांच साल की बच्ची को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बच्ची को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है. इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी से घबराने की जरुरत नहीं है, लेकिन सावधानी और समय पर इलाज एकमात्र बचाव का जरिया है.गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से ग्रसित बच्ची का इलाज कर रहे चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ राजेश ने ईटीवी भारत को बताया कि करीब आठ दिन पहले एक दंपत्ति इस बच्ची को लेकर आए थे. तब बच्ची की हालत बेहद गंभीर थी. वह मूव नहीं कर पा रही थी. सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी. लेकिन बच्ची को आईवीआईजी और मिथाइल प्रेडनीसोलोन दवा देकर वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया. फिलहाल बच्ची की हालत स्टेबल है. अब वह आंखें खोल रही है. पहले से बच्ची की हालत ठीक है, लेकिन रिकवर नहीं कर पा रही है.डॉक्टर ने क्या कहाडॉक्टर राजेश ने बताया कि यह कोई रेयर बीमारी नहीं है. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम यानी जीबीएस ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. इम्यून सिस्टम अपनी ही बॉडी की नसों पर अटैक करता है. इसकी वजह से मरीज को चलने-फिरने और सांस लेने में परेशानी होती है. इससे बच्चों और बुजुर्गों को खतरा है. उन्होंने कहा कि बच्ची को जब लाया गया था, उसी वक्त लक्षण देखकर बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लग गया था. उन्होंने कहा कि उसी वक्त रांची के सिविल सर्जन के अलावा डब्ल्यूएचओ के लखनऊ में मौजूद एक रिप्रेजेंटेटिव को उन्होंने सूचित कर दिया था.डॉ राजेश ने बताया कि अगर किसी बच्चे या बुजुर्ग में चलने फिरने में परेशानी और कमजोरी की शिकायत दिखे तो फौरन डॉक्टर के पास पहुंचे. क्योंकि यह बीमारी बहुत तेजी से नसों पर अटैक करता है. इसलिए वक्त पर इलाज होना जरुरी है. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के कुर्ला से रांची लौटी थी.क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीपीएस)

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गुइलेन बैरे सिंड्रोम एक बीमारी है जिसका सटीक कारण फिलहाल मालूम नहीं है. हालांकि यह आम तौर पर संक्रमण के बाद होता है. इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिकाओं पर हमला करती है. यह तंत्रिका तंत्र को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं. इसका पहला लक्षण हाथ पैर में झुनझुनी होता है. ये संवेदनाएं तेजी से फैल सकती हैं और गंभीर मामलों में पैरालिसिस भी हो सकता है. अब तक इसका कोई इलाज मौजूद नहीं है लेकिन लक्षणों का इलाज किया जाता है और इससे मरीज की रिकवरी में तेजी आ सकती है. माना जाता है कि जीबीएस तब होता है जब इम्यूनिटी पावर कम हो.इस बीमारी के लक्षण:-जीबीएस से संक्रमित मरीज को दस्त, पेट दर्द, बुखार और उल्टी शामिल है. यह बीमारी दूषित पानी या भोजन से भी हो सकता है.क्या सावधानी बरतनी चाहिए:-आम तौर पर डॉक्टर इसमें पानी उबाल कर पीने की सलाह देते हैं. इसके अलावा खुला हुआ या बासी खाना नहीं खाना चाहिए. अगर किसी को मांसपेशियों में खिंचाव के साथ कमजोरी महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.ये भी पढ़ें:पश्चिम बंगाल में चार दिन में GBS सिंड्रोम बीमारी से तीन लोगों की मौतपुणे में तेजी से फैल रहा है खतरनाक गुइलेन बैरे सिंड्रोम, बढ़ रही मरीजों की संख्या, जानें क्या है यह बीमारी

 

 

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