सीबीआई की चार्जशीट में मामले का हुआ है पर्दाफाश, टामन सिंह की पत्नी के एनजीओ के जरिए जमकर हुआ खेल…

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सीबीआई की चार्जशीट में मामले का हुआ है पर्दाफाश, टामन सिंह की पत्नी के एनजीओ के जरिए जमकर हुआ खेल…

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 रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) की राज्य सिविल सेवा भर्ती परीक्षा 2021 के घोटाले मामले में पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी की पत्नी के एनजीओ के जरिए जमकर खेल हुआ है। ग्रामीण विकास समिति (जीवीएस) से पंजीकृत इस एनजीओ में चेयरमैन डॉ. पदमिनी सिंह सोनवानी हैं।

वहीं, वाइस प्रेसीडेंट मोतीलाल शर्मा, सचिव अनिल कुमार सोनवानी, संयुक्त सचिव अखिलेश बारिक, कोषाध्यक्ष ललित गणवीर और सदस्यों में मनीष कुर्रे और नितेश सोनवानी शामिल रहे हैं।

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टामन का भतीजा है नितेश

पीएससी 2021 में नितेश का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ था। वह सोनवानी की पत्नी के एनजीओ में सदस्य के रूप में भी काम कर रहा था। इसके साथ ही ललित गणवीर भी कोषाध्यक्ष की भूमिका में रहा है।

सीबीआई के मुताबिक, इस एनजीओ के खाते में उद्योगपति श्रवण कुमार गोयल ने अपने बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार को डिप्टी कलेक्टर बनाने के लिए 45 लाख रुपये भुगतान किया था। गोयल ने दो किस्तों में 20 लाख और 25 लाख रुपए जमा किए थे।

इन्हीं पैसों से सोनवानी ने पैतृक गांव में शिक्षण संस्थान बनवाया है। ग्रामीण विकास समिति, जीजामगांव 15 नवंबर 2002 को पंजीकृत हुई थी, जिसका पंजीकरण नंबर पी-नंबर 1643 सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1973 के तहत था।

सोनवानी के भाई ने मिलकर किया था समझौता

सीबीआई जांच में पता चला कि टामन के भाई अनिल सोनवानी एनजीओ के सचिव की भूमिका में रहे। उन्होंने उद्योगपति श्रवण कुमार गोयल (ए-2) से मुलाकात की थी और ललित गणवीर (ए-7) द्वारा प्रदान किए गए अपने हस्ताक्षर के तहत आठ नवंबर 2021 को रुपये के अनुदान के अनुरोध के साथ पत्र प्रस्तुत किया था।

उद्योगपति गोयल ने ग्रामीण विकास समिति जीजामगांव द्वारा संचालित कला महाविद्यालय के निर्माण व विस्तार के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) योजना के तहत 50 लाख रुपये स्वीकृत किए थे। इसके लिए टामन और श्रवण गोयल के बीच पहले ही बात तय हो गई थी।

नियमों के खिलाफ मंजूर किया सीएसआर फंड

सीएसआर योजना के तहत राशि स्वीकृत करने के लिए सीएसआर समिति की बैठक एक जनवरी 2022 को वर्चुअली आयोजित की गई। इसमें सीएसआर समिति के सदस्य श्रवण कुमार गोयल ने अच्छी तरह से जानते हुए भी कि कला महाविद्यालय के भवन के निर्माण या विस्तार के लिए सीएसआर फंड मंजूर नहीं किया जा सकता है।

फिर भी इसकी स्वीकृति दी। सीबीआई का दावा है कि जिस गतिविधि के तहत राशि मंजूर हुई थी वह गतिविधि अनुसूची सात (धारा 135 कंपनी अधिनियम 2013) में उल्लिखित गतिविधियों के तहत नहीं आती थी। उन्होंने सीएसआर समिति के अन्य सदस्यों को गुमराह किया और सही तथ्य को दबा दिया।

 

 

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