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रायपुर। 40 एकड़ पैतृक जमीन में पहले बारिश आधारित खेती होती थी। खेस से केवल धान की फसल लेते थे। यह बात साल 2006 के पहले की है। उस समय टर्नओवर तीन से पांच लाख रुपये था। 2006 के बाद खेती कार्य में भी बदलाव के लिए सोचा। फिर यह काम कृषि विशेषज्ञों के साथ मिलकर शुरू किया। आज इसी खेती-बाड़ी से सालाना टर्नओवर 30 लाख से अधिक हो गया है।
यह सफलता हासिल की रायगढ़ के नवापाली के 37 साल के मुकेश चौधरी ने। कृषक चौधरी ने बताया कि वर्ष 2015-16 से मिर्च, बैंगन, भिंडी, धनिया, बरबट्टी, खीरा और करेला आदि सब्जी का उत्पादन करना शुरू किया, जिससे 20 लाख से अधिक की आय प्राप्त होने लगी।
डायवर्सिफाइड खेती से बढ़ाई आमदनी
वहीं, सबसे ज्यादा कमाई मिर्च की खेती से हो रही है। हर वर्ष लगभग 15 लाख रुपये अधिक की कमाई मिर्च से ही हो जाती है। उन्होंने बताया कि आज उद्यानिकी फसलों का उत्पादन पोलोथिन पलवार व ड्रिप सिंचाई की कर रहा हूं।
साथ ही मेड़ों पर अरहर, तिल और गेंदा फूल की खेती करने लगा। इससे आमदनी में वृद्धि हुई। सघन खेती की तरह मेड़ों पर आम, अमरूद, बेर, नीबू, मुनगा और सागौन पौधों का रोपण भी किया। यह खेती गो आधारित रासायनिक खाद से की जा रही है।
शुरुआत में परेशानियों का करना पड़ा था सामना
कृषक चौधरी ने बताया कि 2006 में जब खेती करना चालू किया था, तो मुझे बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा। इसमें मुख्य कारण सिंचाई का साधन नहीं होना था। फिर अपने खेत में कृषि विभाग की सहायता से नलकूप खनन करवाया। इससे पांच एकड़ जमीन पर सिंचाई होने लगी।
धीरे-धीरे उक्त भूमि रकबा में धान फसल के साथ रबी फसल में सब्जी, दलहन-तिलहन की फसल लेना शुरू किया। चौधरी कृषि के छात्र नहीं हैं, बल्कि उन्होंने बीए की डिग्री हासिल की है। फिर भी वे क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए रोल माडल बन गए हैं।
क्रीडा विभाग के माध्यम से बनाया बायो गैस संयंत्र
वे बताते हैं कि साल 2016-2017 में कृषि विभाग की सहायता से क्रेडा विभाग द्वारा बायो गैस संयंत्र बनवाया। इससे निकलने वाली गैस का उपयोग किचन में और गोबर को जैविक खाद बनाकर खेती में उपयोग करने लगा।
इससे रासायनिक खाद का कम उपयोग होने लगा। धान, सब्जी के अलावा बाजरा, रागी, कोदो की खेती शुरुआत भी कर दी है। कृषक चौधरी को डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार भी दिया गया है।