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रायपुर। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आईपीएस गुरजिंदर पाल (जीपी सिंह) की बहाली का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार की याचिका खारिज हो गई है। केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट) के आदेश को याचिका में चुनौती दी गई थी। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने भी आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग केस को राजनीति से प्रेरित मानकर खारिज कर दिया था।
बताया जाता है कि कैट के निर्णय के बाद राज्य सरकार ने जीपी सिंह की बहाली के लिए केंद्र सरकार से अनुशंसा की थी। जीपी सिंह पर बघेल सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगा था। केंद्र ने कैट के निर्णय को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि इस तरह से परेशान करने के लिए झूठे केस दर्ज कर फंसाया गया है, ठोस सुबूत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि वे दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप की इच्छुक नहीं है।
अलग-अलग अपराध किए गए थे दर्ज
जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग के तीन अलग-अलग अपराध दर्ज किए गए थे। जीपी सिंह को लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ा था। केंद्र सरकार ने बर्खास्त कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।
जीपी सिंह ने आपराधिक केस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने तीन एफआईआर को निरस्त कर दिया था। हाई कोर्ट ने माना था कि उन्हें परेशान करने के लिए बिना सुबूतों के अपराध दर्ज किया गया है।
राज्य शासन ने बहाली के लिए की थी अनुशंसा
सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ 2021 में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने कार्रवाई की थी। सरकारी आवास समेत कई ठिकानों पर छापा मार कर 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति और संवदेनशील दस्तावेज जब्त किए थे।
जीपी सिंह के खिलाफ सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। जुलाई 2021 में उन्हें निलंबित कर दिया गया। इसके कुछ दिनों बाद ही उनके खिलाफ राजद्रोह का अपराध भी दर्ज हुआ था।