अब तक जिले में 1500 से अधिक लोगों का हुआ प्रकृति परीक्षण…

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अब तक जिले में 1500 से अधिक लोगों का हुआ प्रकृति परीक्षण…

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महासमुंद, 10 दिसम्बर 2024: देश का प्रकृति परीक्षण’ अभियान पूरे देश में 26 नवम्बर से जारी है जो कि 25 दिसम्बर 2024 तक समस्त आयुष संस्थाओं में होगा। संचालनालय आयुष रायपुर के निर्देशानुसार व जिला आयुष अधिकारी महासमुंद डॉ. प्रवीण चंद्राकर के मार्गदर्शन में पूरे जिले में समस्त आयुष संस्थाओं में प्रकृति परीक्षण का कार्य सक्रिय रूप से जारी है। जिले में कार्यरत निजी चिकित्सक जो कि आयुर्वेद की प्रैक्टिस कर रहे हैं और आयुर्वेद चिकित्सक के रूप में राज्य में पंजीकृत हैं उनके यहां भी यह प्रकृति परीक्षण पूर्णरूप से निःशुल्क है। स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय महासमुंद के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. अनुसुइया अग्रवाल का 9 दिसम्बर को प्रकृति परीक्षण किया गया व वहाँ के विद्यार्थियों को कार्यशाला आयोजित करके प्रकृति परीक्षण की उपयोगिता के बारे में जागरूक किया एवं अन्य शिक्षक शिक्षिकाओं को भी इस बारे में जानकारी दी गई। शासकीय आयुष पॉली क्लिनिक महासमुंद में कार्यरत आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ.सर्वेश दुबे द्वारा प्रकृति से संबंधित कार्यशाला में व्याख्यान दिया गया। पॉली क्लिनिक महासमुंद में कार्यरत आयुष चिकित्सक डॉ. रागिनी गुप्ता व नर्सिंग सिस्टर श्रीमती मेरी रोस खाखा उपस्थित रहीं।

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जी एन एम ट्रेनिंग सेंटर की प्राचार्य व वहाँ के विद्यार्थियों द्वारा सक्रिय रूप से प्रकृति परीक्षण कराया गया। अब तक जिले में 1500 से अधिक लोग अपना प्रकृति परीक्षण करवा चुके हैं। आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के प्रकृति का निर्धारण उसके गर्भ में रहने के दौरान ही हो जाता है और वह प्रकृति पूरे जीवन अपरिवर्तनीय रहती है। प्रकृति परीक्षण के उपरांत व्यक्ति को उसके प्रकृति के अनुसार आहार विहार आदि की जानकारी उसके मोबाइल में तत्काल प्राप्त हो जाती है, प्रकृति के प्रमाणपत्र के साथ साथ।

 

प्रकृति प्रमाणपत्र पूरे जीवन उस व्यक्ति के आयुर्वेद की चिकित्सा के समुचित निर्धारण में उपयोगी रहेगा। प्रकृति परीक्षण 18 वर्ष से 70 वर्ष तक के प्रत्येक नागरिक का किया जा रहा है। हर वह व्यक्ति जो कि एंड्रॉयड मोबाइल के साथ है आयुष की संस्थाओं में जाकर अपने प्रकृति का परीक्षण करवा सकता है। अनेको गैर संचारी रोग जैसे कि मोटापा, मधुमेह, गठिया आदि रोगों को प्रकृति परीक्षण के उपरांत प्राप्त आहार विहार को अपनाकर रोक सकते हैं।

 

उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में सात प्रकार के दैहिक प्रकृति व 16 प्रकार के मानस प्रकृतियों का वर्णन मिलता है। प्रकृति से व्यक्ति के मनोभावों व भविष्य में होने वाले मानसिक रोगों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। विद्यार्थियों को उनके कैरियर चयन में भी सहायक हो सकता है प्रकृति का समुचित निर्धारण। सभी नागरिकों को भारत सरकार के इस मुहिम में भाग लेना चाहिए।

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