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- ग्रामीण संस्कृति की परंपरा को जोड़ा बच्चों के पोषण और स्वाद से, सामुदायिक सहभागिता को बढ़ाने का अनूठा रास्ता है न्योता भोज
- जिले के स्कूलों में अब तक 1492 न्योता भोज आयोजित
अम्बिकापुर, 07 दिसम्बर 2024: न्योता भोज हमारे प्रदेश में कोई नया कांसेप्ट नहीं है, बल्कि ये हमारी ग्रामीण संस्कृति का हिस्सा है। गांव-घर में अपनी खुशियों को आस-पड़ोस के लोगों के साथ बांटने के लिए न्योता भोज किए जाते रहे हैं और अब भी होते हैं, जहां खुशियों का आनंद स्वाद के साथ लिया जाता है। इसी ग्रामीण संस्कृति की परंपरा को प्रदेश के सरल, सौम्य मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने स्कूलों में बच्चों के पोषण और स्वाद से जोड़ा है। न्योता भोज सामुदायिक सहभागिता को बढ़ाने का जरिया है और इसी कांसेप्ट को मुख्यमंत्री की अभिनव पहल पर स्कूलों में आयोजित किया जा रहा है।
न्योता भोज की शुरुआत –
प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू की गई प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना को सामुदायिक सहयोग से और अधिक पोषक बनाने की पहल की गई है। इसी कड़ी में जब फरवरी माह में अपने 60वें जन्मदिन के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय जशपुर के बगिया बालक आश्रम शाला के बच्चों के बीच पहुंचे, उन्होंने न्योता भोज में बैठकर बच्चों के साथ भोजन का आनंद लिया।
सामुदायिक सहभागिता को बढ़ाने जिले के स्कूलों में अब तक 1492 न्योता भोज आयोजित
मुख्यमंत्री श्री साय ने अपील की थी कि अपने जन्मदिन, वर्षगांठ जैसे खास मौके पर अपने पास के स्कूल, आश्रम, छात्रावास में जाकर बच्चों के साथ न्योता भोज में शामिल हों। इससे समुदाय में अपनेपन की भावना का विकास होगा और साथ ही भोजन के पोषक मूल्य में वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री श्री साय की इसी अपील पर अमल करते हुए सरगुजा जिले के स्कूलों में समय-समय न्योता भोज आयोजित किए गए हैं जिनमें जिले के जनप्रतिनिधियों, कलेक्टर, जिला स्तरीय अधिकारियों ने भी स्कूली बच्चों के साथ हिस्सा लिया है। शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में अब तक 1492 न्योता भोज आयोजित किए गए हैं, जिसमें 55 हजार से ज्यादा बच्चों ने पोषक एवं स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठाया। न्योता भोज में नियमित आहार में बच्चों के स्वादानुसार मिष्ठान, पकवानों को जोड़ा जाता है। इस पहल को निरंतर आगे बढ़ाया जा रहा है और जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों सहित आमजन भी इसमें सहभागी ब
न रहे हैं।