चिंता की लकीरें मिटकर बदल गई है मुस्कान में, फसल काटकर किसान पहुँचाने लगे हैं खलिहान में…

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चिंता की लकीरें मिटकर बदल गई है मुस्कान में, फसल काटकर किसान पहुँचाने लगे हैं खलिहान में…

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  • फसल कटाई करने के साथ किसान दम्पति में बना खुशियों का वातावरण

कोरबा 13 नवम्बर 2024: कुछ माह पहले तक लेमरू क्षेत्र के किसान लुकेश्वर राठिया और उनकी पत्नी दिलेश्वरी बाई के चेहरे पर चिंता की लकीरे थीं। यह चिंता इसलिए भी थी कि उन्होंने खेत पर सिर्फ धान की फसलें ही नहीं बोई थीं, पहाड़ वाले इलाके में कड़ी मेहनत कर वह उम्मीद भी बोयी थीं। उन्हें भली भांति याद है कि बीते जून-जुलाई माह में अथक परिश्रम कर किन विपरीत परिस्थितियों में खेत जोते और खेत में बीज बोए। उन्हें यह भी याद है कि बीज बोने के साथ भी उनके भीतर भय का वातावरण तब तक बना रहा, जब तक कि फसल पक न जाएं, क्योंकि वे जानते थे कि फसल बोना उनके हाथ में तो है, लेकिन इसका सही-सलामत पककर कटने लायक होना बारिश पर निर्भर है। किसान लुकेश्वर और उनकी पत्नी दिलेश्वरी बाई को खुशी है कि इस साल बारिश ने उन्हें दगा नहीं दिया और आज वे पके हुए फसल काट पा रहे हैं। खेत पर फसल काट कर अपने खलिहान तक पहुँचाने में व्यस्त किसान दम्पति को खुशी इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है और प्रति एकड़ 21 क्विंटल की दर से धान की खरीदी कर रहे है। इस मूल्य पर अपनी धान बेच पाने और फसल सही-सलामत पक जाने की खुशियों ने राठिया दम्पति जैसे अनेक किसानों के चेहरे से चिंता की लकीरें मिटाकर मुस्कान में बदल दिया है।

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कोरबा विकासखंड अंतर्गत लेमरू क्षेत्र के ग्राम पंचायत देवपहरी के पास ग्राम ढ़ीढापाठ के किसान लुकेश्वर राठिया ने बताया कि उन्होंने लगभग तीन एकड़ में धान का फसल लिया है। अब जबकि फसल पककर तैयार है तो वे अपनी पत्नी के साथ फसल कटाई कर उसे खलिहान तक पहुंचाने में जुटे हैं। धान की फसल काटते हुए कृषक लुकेश्वर ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने धान का समर्थन मूल्य 31 सौ रुपए कर के किसानों के हित में बहुत बड़ा कदम उठाया है। उनका यह निर्णय हम सभी के लिए तभी लाभदायक है जब हम खेत पर सही समय पर अपनी फसल उपजा पाए और उसे समय पर काटकर धान उपार्जन केंद्र तक पहुंचा पाएं। किसान लुकेश्वर राठिया का कहना है कि हम मेहनत कर उम्मीद की फसल बोते हैं, क्योंकि हमारे पहाड़ी इलाके में सब कुछ बारिश की मेहरबानी पर ही टिकी है। इस बार बारिश अच्छी हुई है, इसलिए फसल पककर तैयार हो पाया है और आज हम इसे काट पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे लिए यह दुगनी खुशी की बात है कि धान का सही मूल्य मिल रहा है और खेत में धान पैदा हो पाया। लुकेश्वर ने बताया कि धान कटाई का काम अंतिम चरण में है। जल्दी ही इसे नजदीक के लेमरू धान उपार्जन केंद्र में बेचेंगे। इसके लिए पंजीयन भी करा लिया है। किसान की पत्नी दिलेश्वरी बाई राठिया का कहना है कि हम दोनों ने धान बोए थे, आज इसे काट रहे हैं। खेत पर बीज बोने से लेकर धान के पौधे को बड़ा होते और उसे लहलहाते हुए देखना बहुत खुशी भरा क्षण था। आज फसल का पूरी तरह से पक जाना हमारे कई सपनो का पूरा होने के जैसा है। इससे पहले कई बार बारिश की वजह से फसल खेत पर ही दम तोड़ देते थे, जिससे हमारे सपने टूट जाते थे और खुशियां भी मर जाती थी। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में फसल लेना बहुत चुनौती का काम है। सिंचाई के लिए आसमान पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इस वर्ष मौसम की मेहरबानी से उनका फसल उत्पादन अच्छा हुआ है। फिलहाल फसल पक गई है इसे बेचने के बाद तय होगा कि घर के जरूरतों के लिए क्या-क्या सामान लेना है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश सहित कोरबा जिले में 65 धान उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं और जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। कल 14 नवम्बर से किसानों से धान खरीदी की प्रक्रिया प्रारंभ हो रही है।

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