धनतेरस कब है? 29 या 30, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त..

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 अगर धनतेरस की तिथि को लेकर आपको भी कंफ्यूजन बना हुआ है तो ऐसे में आइए जानते हैं धनतेरस की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

दीपावली यानी दिवाली का पर्व आने में बस कुछ ही दिन बचे हैं। पूरे देशभर में इसकी धूम देखने को भी मिल रही है। दीपावली का पांच दिवसीय उत्सव धनतेरस के दिन से शुरू हो जाता है। सनातन धर्म में पांच दिन के इस पर्व का हर दिन विशेष महत्व रखता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इसके साथ ही धनतेरस के खास मौके पर सोने-चांदी, बर्तन आदि चीजों की भी खरीदारी करते हैं। वहीं इस बार धनतेरस की तिथि को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन बना हुआ है। अगर आप भी उनमें से हैं तो आज हम आपको बताने वाले हैं धनतेरस की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में ।

धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Date)

वैदिक पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 की सुबह 10 बजकर 31 मिनट से और इस तिथि का समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर होगा। ऐसे में 29 अक्टूबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा।

धनतेरस भोग रेसिपी (Dhanteras 2024 Bhog Recipe)

धनतेरस के दिन पूजा का बाद माता लक्ष्मी और कुबेर देवता को उनका प्रिय भोग जरूर लगाएं। इस दिन आप इन्हें मखाने और दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। मखाने की खीर बनाने की विधि काफी आसान भी है। खीर बनाने के लिए आपको मखाने, दूध, चीनी, ड्राई फ्रूट्स और इलायची पाउडर की जरूरत पड़ेगी।

पूजा का शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Puja Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर की शाम 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा और 8 बजकर 13 मिनट पर समापन होगा।

धनतेरस पूज़न विधि (Dhanteras 2024 Puja Vidhi)

धनतेरस के दिन शाम के समय कुबेर देव और माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद धन्वंतरि देव, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता के सामने घी का दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद उन्हें फल और फूल चढ़ाएं। फिर माता लक्ष्मी और कुबेर देव को उनका प्रिय भोग लगाएं। पूजा के बाद इस मंत्र का भी जाप करें। मंत्र इस प्रकार है – ‘ॐ ह्रीं कुबेराय नमः’ मंत्र का जाप करें। आखिरी में आरती करें।

 

 

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