प्रदूषण के दुष्परिणाम: बढ़ रहे श्वास रोग के मरीज, रोजाना 100 से ज्यादा मरीज़ पहुंच रहे अस्पताल …

raipur@khabarwala.news

बिलासपुर। शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। सड़कें उखड़ रही है, इनसे उड़ने वाली धूल से डस्ट एलर्जी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसी तरह निर्माण कार्य के दौरान प्रदुषण फैलाव को लेकर कोई भी काम नहीं किया जा रहा है। इसकी वजह से भी मिटटी, सीमेंट व अन्य पदार्थ धूल के रूप में उड़ रहे हैं, यह भी लोगों को श्वास संबंधी समस्या दे रहा है।

इन बातों को आकड़े भी पुष्ट कर रहे हैं। सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) और जिला अस्पताल में श्वास संबंधी रोग के मरीज बढ़ते ही जा रहे है। जानकारी के मुताबिक सिम्स की ओपीडी में हर दिन 100 से ज्यादा और जिला अस्पताल में 30 से ज्यादा श्वास संबंधी मरीजों की पहचान हो रही है।

साफ-सफाई ठीक होने के बाद भी शहर की सड़कों में फिर से धूल उड़ना चालू हो गया है। मुख्य कारण सड़कों का उखड़ना है। ऐसे में सड़क पर चलने वाले सीधे धूल की संपर्क में आ रहे हैं। ऐसे में प्रदूषण से बचना जरूरी हो गया है। यदि प्रदूषण को लेकर सावधानी बरती जाए तो श्वास संबंधी समस्याओं को कम किया जा सकता है दूसरी ओर शहर तेज गति से विकास कर रहा है। ऐसे में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग का निर्माण हो रहा है।

बढ़ रहे खांसी-जुकाम के मरीज

अक्सर मौसमी बीमारी की वजह से लोग खांसी-जुकाम पीड़ित होते है, लेकिन अब यह अवधारणा बदल रही है। खांसी-जुकाम की एक बड़ी वजह धूल और प्रदूषण बन रहा है। धूल की वजह से ही गले में इंनफेक्शन होता है और सर्दी,-खांसी, जुकाम की शुरुआत होती है और बाद में यह बीमारी बढ़ कर श्वास संबंधी समस्या बन जाती है।

सिम्स के एमएस डा़ लखन सिंह का कहना है कि लोग पहले सर्दी-खांसी की समस्या को लेकर मेडिसीन डिपार्टमेंट पहुंचते हैं। जांच में पता चलता है कि धूल व प्रदूषण के कारण उन्हें समस्या हो रहा है, जिनका इलाज किया जाता है, लगातार श्वास के मरीज बढ़ रहे हैं।

प्रदूषण से त्वचा संबंधी समस्या भी

सिम्स के स्कीन ओपीडी की जानकारी के मुताबिक त्वचा संबंधी समस्या का एक कारण प्रदूषण है। सिर के बाल उड़ना, त्वचा में दाग-धब्बे प्रदूषण और धूल की वजह से ही हो रहे है। ऐसे में धूल व अन्य प्रकार के प्रदूषण से बचना जरूरी हो गया है।

. ऐसे बचे धुल व प्रदूषण से

– मास्क का उपयोग करें: प्रदूषित वातावरण में जाने से पहले एन 95 या अन्य उच्च गुणवत्ता वाले मास्क का उपयोग करें। यह धूल के छोटे कणों को सांस में जाने से मदद करता है।

– घर में साफ हवा का ध्यान रखें: घर के अंदर हवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें। खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें, खासकर जब बाहर धूल या प्रदूषण का स्तर अधिक हो। घर की सफाई करते समय गीले कपड़े से सफाई करें, ताकि धूल उड़ न सके।

– बाहर जाने का समय चुनें: सुबह के समय, जब ट्रैफिक कम हो और धूल का स्तर अपेक्षाकृत कम हो, तब बाहर निकलने की कोशिश करें। दिन के प्रदूषित समय (जैसे कि ट्रैफिक पीक टाइम) में बाहर निकलने से बचें।

– अपने शरीर का ख्याल रखें: पर्याप्त पानी पिएं ताकि शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल सकें। गर्म पानी से स्नान करें और चेहरे की सफाई करें ताकि धूल के कण हट सकें। बाहर से आने के बाद कपड़े बदलें ताकि धूल और प्रदूषण घर के अंदर न आएं।

– इम्यूनिटी बढ़ाने वाले आहार लें: विटामिन सी, एंटीआक्सीडेंट्स और जिंक जैसे पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें, ताकि आपकी प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनी रहे। अदरक, हल्दी और शहद का सेवन श्वास नलिका को साफ रखने में मदद करता है।-

-प्राकृतिक उपचार अपनाएं: घर में पौधे लगाएं, जैसे कि स्नेक प्लांट, एलोवीरा, पीस लिली, जो हवा को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करते हैं। घर में नमी बनाए रखने के लिए पानी के कटोरे रखें, जो धूल के कणों को बैठने में मदद करते हैं।

– धूम्रपान और अन्य प्रदूषण स्रोतों से बचें: अपने घर में धूम्रपान न करें और किसी भी तरह के अंदरूनी प्रदूषण स्रोतों, जैसे कि लकड़ी या कोयले की आग से बचें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *