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रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर में 15 से अधिक देवी मंदिरों में शारदीय नवरात्र की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकीं हैं। मंदिरों में जोत प्रज्वलित कराने रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। इस वर्ष भी बिना वृद्धि किए जोत पंजीयन की राशि 700 से 751 रुपये ही रखी गई है।
नवरात्र की शुरुआत पर हस्त और चित्रा नक्षत्र, इंद्र योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है। भगवान शिव कैलाश पर्वत पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। इन शुभ संयोगों में देवी पूजन करने से अक्षय फल की प्राति होगी।
महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला ने बताया कि 3 अक्टूबर से नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है। घट स्थापना मुहूर्त सुबह 6.15 से 7.22 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.46 से 12.33 बजे तक रहेगा। पूरे नौ दिनों की नवरात्र का समापन नवमीं तिथि, 11 अक्टूबर को कन्या पूजन, भंडारा प्रसादी के साथ होगा। अगले दिन 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा।
इस तरह करें नवरात्रि की तैयारी
पूजा सामग्री इकट्ठा करें, इसमें माता के शृंगार के लिए मेहंदी, बिंदी, लाल चूड़ी, सिंदूर, लाल चुनरी, नेल पालिश, लिपस्टिक, बिछिया, दर्पण, कंघी, महावर, काजल, चोटी, पायल जैसी चीजें शामिल हैं। पूजा के लिए जगह को साफ करें और वहां दीपक जलाएं।
मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। माता को अक्षत, सिंदूर, लाल पुष्प, फल, और मिठाई अर्पित करें माता के श्रृंगार का सामान अर्पित करें। माता की आरती करें। पूजा के लिए कुश का आसन या ऊन से बना आसन या कंबल का इस्तेमाल करें।
कलश स्थापित करें, इसके लिए मिट्टी का बर्तन लें, उसमें साफ मिट्टी रखें, उसमें जौ के दाने बोएं, और उन पर पानी का छिड़काव करें। कलश को हल्दी की गांठ, सुपारी, दुर्वा, पांच तरह के पत्तों से सजाएं, कलश के नीचे बालू की वेदी बनाकर जौ बोएं। दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। माता के गंगाजल से अभिषेक करें। पान के पत्ते पर कपूर रखकर माता की आरती करें व अंत में क्षमा मांगें।
नौ दिन, नौ रूपों की पूजा
3 अक्टूबर मां शैलपुत्री पूजन
4 अक्टूबर मां ब्रह्मचारिणी पूजन
5 अक्टूबर मां चंद्रघंटा पूजन
6 अक्टूबर मां कूष्मांडा पूजन
7 अक्टूबर मां स्कंदमाता पूजन
8 अक्टूबर मां कात्यायनी पूजन
9 अक्टूबर मां कालरात्रि पूजन
10 अक्टूबर मां सिद्धिदात्री पूजन
11 अक्टूबर मां महागौरी पूजन
12 अक्टूबर विजयदशमी दशहरा।