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मॉनसून एक तो अटक गया है. इसके जाने का वक्त बढ़ गया है. जाते-जाते भी तबाही मचाने को तैयार है. अब एक बार फिर बंगाल की खाड़ी में डीप डिप्रेशन बन गया है. जिसकी वजह से गंगा के मैदानी इलाकों और दिल्ली तक चक्रवाती तूफान आने की आशंका है. तेज बारिश हो सकती है.
बंगाल की खाड़ी के पास डीप डिप्रेशन बना है. अनुमान है कि इसकी वजह से गंगा के मैदानी इलाकों में अगले 48 से 72 घंटे काफी बारिश हो सकती है. बंगाल की खाड़ी के पास डीप डिप्रेशन बना है. अनुमान है कि इसकी वजह से गंगा के मैदानी इलाकों में अगले 48 से 72 घंटे काफी बारिश हो सकती है.
बंगाल की खाड़ी में एक डीप डिप्रेशन बना है. यानी मौसम का ऐसा घेरा जो चकरी की तरह घूमते हुए आगे बढ़ेगा. रास्ते में तेज बारिश, बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर देगा. फिलहाल यह कोलकाता से 60 किलोमीटर दूर पश्चिम की तरफ है. जमशेदपुर से 170 किलोमीटर पूर्व और रांची से 270 किलोमीटर दूर पूर्व-दक्षिणपूर्व की तरफ.
यह धीरे-धीरे पश्चिम की तरफ बढ़ेगा. करीब 8 km/hr की गति से. इसकी वजह से बांकुरा, पुरुलिया और पश्चिम मेदनीपोर में तेज से बहुत तेज बारिश का अनुमान है. समंदर में हवा 70km/hr की स्पीड से चल सकती है. मौसम वैज्ञानिकों की माने तो यह तूफान धीरे-धीरे करके दिल्ली की तरफ बढ़ सकता है. इसके रास्ते में यूपी और बिहार आएंगे. हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि यह डीप डिप्रेशन से कम होकर अगले 48 घंटे में डिप्रेशन बन जाएगा.
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मौसम विभाग की मानें तो उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के अलग-अलग इलाकों में बादलों के जमकर बरसने के आसार हैं, इन सभी राज्यों में सात सेमी (70 मिमी) से अधिक पानी गिर सकता है.
अगले कुछ दिनों तक इन राज्यों पर होगा असर
उत्तराखंड, पश्चिमी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, ओडिशा, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में तूफानी हवाओं के साथ बारिश तथा बिजली गिरने की आशंका जताई गई है. वहीं अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल के अलग-अलग हिस्सों में गरज के साथ बारिश तथा बिजली गिरने के आसार हैं.
मॉनसून के समय लो प्रेशर सिस्टम यानी कम दबाव का क्षेत्र बनना आम बात है. इसे मॉनसून लो कहते हैं. जो बाद में तीव्र होकर मॉनसून डिप्रेशन में बदल जाता है. मॉनसून में बनने वाले ये लो प्रेशर एरिया और डिप्रेशन लंबे समय तक टिके रहते हैं.
बेतहाशा शहरीकरण से बन रहा है लैंड बेस्ड साइक्लोन
वैज्ञानिकों ने शहरों में इस तरह के मौसम में आने वाली बाढ़ की वजह बेतरतीब अर्बन डेवलपमेंट को माना है. स्टॉर्मवाटर मैनेजमेंट अच्छा नहीं है. जंगल और कॉन्क्रीट के बीच संतुलन नहीं है. रेनवाटर हार्वेस्टिंग नहीं है. इसलिए शहरों में ऐसे मौसम से ज्यादा हालत खराब होती है. इस नई मुसीबत का नाम है जमीन से पैदा होने वाला साइक्लोन (Land Based Cyclone).
कुछ सालों बाद स्थितियां और भी ज्यादा बिगड़ जाएंगी
1982 से 2014 की तुलना में साल 2071 से 2100 के बीच भारत में अत्यधिक बारिश में 18 फीसदी बढ़ोतरी होगी. ये तब की बात है जब अभी के दर से कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता रहेगा. अगर उत्सर्जन बढ़ा तो तेज बारिश की तीव्रता में 58 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. यह खतरनाक खुलासा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरियोलॉजी (IITM) की एक स्टडी में हुआ है. जिसमें कहा गया है कि इस सदी के अंत तक भारत में अत्यधिक बारिश की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी होने के आसार है.
इसका बसे ज्यादा असर पश्चिमी घाट और मध्य भारत पर पड़ेगा. कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में हुई बढ़ोतरी को इस तरह के मौसम के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. इस स्टडी में भारत पूर्वी तटीय क्षेत्र और हिमालय की तलहटी के लिए बढ़ते खतरों की और भी संकेत दिया है. फिलहाल भारत के 8 फीसदी हिस्से में अत्यधिक बारिश होती है. जो भविष्य में बढ़कर कई गुना ज्यादा हो जाएगी.
अधिक बारिश वाले दिनों में हो जाएगा इजाफा
लंबी अवधि की अत्यधिक बारिश की घटनाओं में दोगुना वृद्धि होगी. इस तरह की बारिश कम समय की बारिश की घटनाओं की तुलना में तीन से छह दिनों तक चलती है. ऐसी बारिश से जानमाल के नुकसान की आशंका बढ़ जाती है. यह स्टडी करने वाले वैज्ञानिक जस्ती एस चौधरी ने कहा कि सदी के अंत तक अत्यधिक बारिश वाले दिनों की कुल संख्या वर्तमान के चार दिनों से बढ़कर हर साल नौ दिन हो सकती है. मॉनसून की बारिश में 6 से 21 फीसदी इजाफा होने का अनुमान है.