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रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू ने स्वास्थ विभाग की चिंता बढ़ा दी है। बीमारी से विगत 15 दिनों में छह लोगों की मौत हुई है। इसमें बिलासपुर के चार तथा राजनांदगांव के दो शामिल हैं। माहभर में 60 से ज्यादा केस सामने आए हैं। इसमें रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव के मरीज शामिल हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने बीमारी के बढ़ते मामले को देखते हुए अलर्ट जारी किया है। सभी मेडिकल कॉलेजों के डीन और सीएमएचओ को तत्काल वॉयरोलाजी लैबों में एन1एच1 वायरस की जांच के लिए तैयार करने कहा है। लैब में टेक्नीशियन नहीं होने पर तत्काल भर्ती करने के निर्देश दिए हैं।
रायपुर में जुलाई में आया था स्वाइन फ्लू का पहला केस
रायपुर मेडिकल कॉलेज के माइक्रो बॉयोलाजी विभाग में सप्ताहभर में 35 से ज्यादा सैंपलों की जांच हुई है। इसमें तीन की रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। लैब में प्रतिदिन पांच से छह सैंपलों की जांच हो रही है। राजधानी में स्वाइन फ्लू का पहला केस जुलाई के पहले सप्ताह में आया था। कांकेर का मरीज निजी अस्पताल में भर्ती था। उसे इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया था।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण आते ही तत्काल जांच कराएं। इलाज में देरी जानलेवा हो सकती है। बिलासपुर और राजनांदगांव में जिन मरीजों की मौत हुई है, वे काफी विलंब से अस्पताल पहुंचे थे।
महामारी नियंत्रक के संचालक डॉ. एस पामभोई ने कहा, सर्दी, खांसी और कफ के साथ तेज बुखार से पीड़ितों का स्वाइन फ्लू टेस्ट कराने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना काल में बने आइसोलेशन वार्डों को फिर से तैयार किया गया है। लक्षण नजर आते ही लोग तुरंत अस्पताल पहुंचकर जांच कराएं। स्टोर में पर्याप्त मात्रा में टैमी फ्लू, एन-95 मास्क उपलब्ध हैं।
यह बरते सावधानियां
खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को टिशू से ढकें। इस्तेमाल करने के कूड़ेदान में फेंक दें।
हाथों को अक्सर साबुन और पानी से धोएं, विशेष रूप से खांसने या छींकने के बाद।
अपने आंख, नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचें। रोगाणु इसी तरह फैलते हैं।
लक्षण नजर आते ही अस्पताल में जाकर जांच कराएं, बीमार लोगों के संपर्क में जाने से बचें।
हवा से फैलती है बीमारी
स्वाइन फ्लू एक संक्रमण है, जो एक प्रकार के फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वायरस के कारण होता है। इन्फ्लूएंजा से पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, इसलिए मरीजों को भर्ती करने के लिए आइसोलेशन वार्ड की जरूरत पड़ती है। इलाज करने वाले डॉक्टरों को एन-95 मास्क लगाना पड़ता है।
साथ ही पीड़ित के साथ अटेंडेंट साथ में नहीं रह सकता है। नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ को भी पर्याप्त सावधानी बरतनी पड़ती है। स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन फ्लू को लेकर पूरे प्रदेश में आइसोलेशव वार्ड तैयार किए हैं। जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में आइसोलेशन वार्ड बनवाया गया है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण सामान्य मानव फ्लू के लक्षणों के समान ही होते हैं। इसमें बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, सिरदर्द, ठंड लगना और थकान शामिल हैं। कुछ लोगों ने दस्त और उल्टी की भी शिकायत होती है।