भारत के लोगों को चलते-फिरते हार्ट-अटैक दे रही ये एक चीज, भारत में 80% लोग अनजान…

www.khabarwala.news

schedule
2024-07-06 | 07:50h
update
2024-07-06 | 07:50h
person
khabarwala.news
domain
khabarwala.news
भारत के लोगों को चलते-फिरते हार्ट-अटैक दे रही ये एक चीज, भारत में 80% लोग अनजान…

raipur@khabarwala.news

भारत के लोगों के लिए पहली बार कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ने लिपिड गाइडलाइंस जारी की हैं. इन गाइडलाइंस में हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्‍ट के लिए मुख्‍य रूप से जिम्‍मेदार हाई कोलेस्‍ट्रॉल यानि डिस्लिपिडेमिया के मैनेजमेंट की सिफारिश की गई है.

कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ने हार्ट अटैक से बचाव के लिए लिपिड गाइडलाइंस जारी की हैं.

कोरोना के बाद से आपने ऐसी कई घटनाएं सुनी होंगी कि फलां व्‍यक्ति की नाचते-नाचते मौत हो गई, अचानक बैठे हुए व्‍यक्ति की हार्ट अटैक से जान चली गई. कई सेलिब्रिटीज को भी जिम करते हुए कार्डिएक अरेस्‍ट हुआ और वे दुनिया को अलविदा कह गए. आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्‍यों हुआ? दरअसल इसका जवाब अब कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ने खोज निकाला है. इतना ही नहीं सोसायटी ने पहली बार भारत के लिए गाइडलाइंस भी जारी की हैं, ताकि लोग साइलेंट किलर बन चुकी इस चीज को लेकर सतर्क हो सकें और हार्ट अटैक से बच सकें.

कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से हाल ही में लिपिड गाइडलाइंस जारी की गई हैं. लिपिड गाइडलाइंस के अध्‍यक्ष और सर गंगाराम अस्‍पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्‍टर जेपीएस साहनी ने बताया कि हार्ट अटैक को लेकर अक्‍सर ये कहा जाता रहा है कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन, स्‍ट्रेस, तंबाकू सेवन आदि के कारण हार्ट अटैक होते हैं, लेकिन इसके विपरीत भारत में हार्ट अटैक के लिए सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार जो चीज देखी गई है, वह है डिस्लिपिडेमिया. यानि लिपिड प्रोफाइल जो भारत में 80 फीसदी लोगों में नॉर्मल नहीं है और न ही लोगों को इसकी जानकारी ही है.

Advertisement

50 फीसदी हार्ट अटैक का यही कारण

गाइडलाइंस के सह-लेखक और एम्‍स नई दिल्‍ली के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एस रामाकृष्‍णन ने कहा कि देखा जा रहा है कि सिर्फ डिस्‍लपिडेमिया या लिपिड प्रोफाइल की वजह से 50 फीसदी हार्ट अटैक हो रहे हैं. हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्‍ट के बाद जब मरीजों की जांच की जाती है तो देखा गया है कि इनका लिपिड प्रोफाइल ठीक नहीं है, और न ही कभी इन्‍होंने जांच कराई. इसी वजह से इसके बारे में भी मरीज को कुछ पता नहीं होता है.

क्‍या होता है लिपिड प्रोफाइल

गंगाराम अस्‍पताल में ही कार्डियोलॉजिस्‍ट डॉ. अश्विनी मेहता ने कहा कि लिपिड प्रोफाइल कुल मिलाकर कोलेस्‍ट्रॉल होता है. अगर आपके शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा ज्‍यादा है तो आपको हार्ट अटैक होने का खतरा भी ज्‍यादा है, फिर चाहे आप किसी भी उम्र में क्‍यों न हों. लिपिड प्रोफाइल में ये 5 चीजें आती हैं, गुड कोलेस्‍ट्रॉल, बैड कोलेस्‍ट्रॉल, नॉन एचडीएल कोलेस्‍ट्रॉल, लिपो प्रोटीन और ट्रायग्लिसराइड.

कोलेस्‍ट्रॉल की जांच है बेहद जरूरी

डॉ. रामाकृष्‍णन कहते हैं कि अगर हार्ट अटैक से बचना है तो हर व्‍यक्ति को अपने कोलेस्‍ट्रॉल यानि लिपिड प्रोफाइल की कम से कम एक बार जांच कराना बेहद जरूरी है. 40 साल से ऊपर हर व्‍यक्ति को यह जांच करानी चाहिए. वहीं अगर आपके परिवार में किसी को भी हार्ट अटैक आया है या यह आनुवंशिक रोग रहा है तो किसी भी उम्र में तत्‍काल लिपिड प्रोफाइल की जांच करानी चाहिए.

कोलेस्‍ट्रॉल को लेकर क्‍या कहती हैं गाइडलाइंस

डॉ. साहनी और डॉ. मेहता कहते हैं कि सीएसआई की ओर से पहली बार भारत के लिए तैयार की गई गाइडलाइंस में असंतुलित कोलेस्‍ट्रॉल यानि डिस्लिपिडेमिया को ही नियंत्रित करने की पूरी जानकारी दी गई है. सिर्फ डॉक्‍टरों को ही नहीं हर आम आदमी को अपने बीपी, शुगर की तरह अपने शरीर में बन रहे कोलेस्‍ट्रॉल की भी जानकारी होनी चाहिए. हर व्‍यक्ति को पता होना चाहिए कि उसका कोलेस्‍ट्रॉल लेवल क्‍या है. अगर यह असंतुलित है, पैरामीटर के हिसाब से नहीं है, तो उसे डॉक्‍टर से परामर्श कर दवाएं लेनी चाहिए.

गाइडलाइंस में विश्‍व की अन्‍य गाइडलाइंस से अलग खासतौर पर भारत के लोगों के हिसाब से बदलाव भी किए गए हैं. इसे इंटरनेशनल स्‍टेंडर्ड 115 से 100 किया गया है. वहीं हार्ट अटैक के हाई रिस्‍क ग्रुप वाले लोगों का एलडीएल 55 से कम होना चाहिए. वहीं मध्‍यम रिस्‍क वालों के लिए 100 से कम मात्रा चलेगी. इसलिए पहली बार यह तय किया गया है कि लिपिड प्रोफाइल भी हर व्‍यक्ति के लिए अलग-अलग है और उसी के अनुसार लोगों को अपना बचाव करना चाहिए.

दवाएं लेने में न बरतें लापरवाही

डॉ. रामाकृष्‍णन कहते हैं कि अक्‍सर देखा जाता है कि लोग कोलेस्‍ट्रॉल की जानकारी मिलने के बाद भी दवाएं लेने में कतराते हैं. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. डॉक्‍टर जो भी दवाएं प्रिस्‍क्राइब करे, वह लेनी चाहिए. गाइडलाइंस में स्‍पष्‍ट है कि कि स्‍टेनिन और नॉन स्‍टेनिन दवाएं लिपिड प्रोफाइल को मेनटेन करने में कारगर हैं.

 

 

Advertisement

Imprint
Responsible for the content:
khabarwala.news
Privacy & Terms of Use:
khabarwala.news
Mobile website via:
WordPress AMP Plugin
Last AMPHTML update:
06.11.2024 - 05:52:15
Privacy-Data & cookie usage: