बुजुर्ग माता-पिता से पुश्तैनी जमीन में हिस्सा माता-पिता के मृत्यु के बाद ही मिल सकता है- डॉ. किरणमयी नायक

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  • जमीन संबंधी प्रकरण में आयोग की टीम करेगी मौका निरीक्षण
  • – पुलिस द्वारा रिपोर्ट नहीं लिखने पर आवेदिका को न्यायालय में परिवाद पत्र दर्ज कराने का दिया गया निर्देश
  • – अनावेदक के सर्विस रिकार्ड में अपने बच्चे का दर्ज कराए नाम
  • – सिटी कोतवाली थाना प्रभारी को कारण बताओ नोटिस जारी

राजनांदगांव 05 जुलाई 2024।छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आयोग को प्राप्त महिला उत्पीडऩ से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की। इस दौरान कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल उपस्थित थे। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक द्वारा राजनांदगांव जिला की 256वीं सुनवाई हुई एवं जिला स्तर में 7वीं सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका अपने माता-पिता से संपत्ति का बंटवारा मांग रही थी, अनावेदक के पास उनके जीवन यापन के लिए एक डेढ़ एकड़ जमीन है और दोनों बेटे घर से अलग रहते हैं। आवेदिका के नाना ने अपनी एक एकड़ जमीन आवेदिका के माँ को दिया था। इस छोटी सी जमीन के अलावा अनावेदक और उसकी पत्नी के पास और कोई जमीन नहीं है और दोनों बुजुर्ग है। ऐसी दशा में उनके जीवन काल में पुश्तैनी संपत्ति का बंटवारा वह यदि अपने स्वेच्छा से अपने जीवनकाल में देना चाहे तभी आवेदिका को संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। अन्यथा उसे दिवानी न्यायालय में हिस्सा बंटवारा के लिए कानूनी कार्रवाही करनी होगी। इस निर्देश के साथ आयोग ने प्रकरण नस्तीबद्ध किया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के मकान 1200 वर्गफीट का निर्माण करने हेतु एक लिखित अनुबंध दोनों पक्षों के बीच हुआ था। जिसमें आवेदिका के द्वारा लगभग 6 लाख रूपए अनावेदक को दिया गया है। जिसमें अनावेदक ने स्वीकार किया है, उसका कहना है कि आवेदिका 2300 वर्गफीट में निर्माण करा रहा है और खर्चा ज्यादा हो रहा है। इस मुद्दे पर निराकरण स्थल निरीक्षण किए जाने के बिना संभव नहीं है। दोनों पक्षों को समझाईश दिया गयाकि निरीक्षण कर मौके की जांच करेंगे। इस बाबत विद्या मिश्रा संरक्षण अधिकारी राजनांदगांव को नियुक्त किया गया है, वह किसी जूनियर इंजीनियर या अनुभवी को अपने साथ ले जाकर आयोग के निर्देश का पालन करने व अपनी रिपोर्ट एक माह में प्रस्तुत करें।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदकगण के खिलाफ थाना बसंतपुर में शिकायत किया गया था। वहीं अनावदेकगणों द्वारा आवेदिका के पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया है, जिसके कारण आवेदिका ने यह शिकायत दर्ज करायी है। यह अनावेदकगण का कहना है। अर्थात् दोनों पक्ष में प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए आयोग ने सुनवाई किये जाने के पूर्व एसपी राजनांदगांव से पुलिस प्रतिवेदन मंगाना आवश्यक है, प्रतिवेदन के पश्चात प्रकरण नस्तीबद्ध किया जायेगा।

एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों द्वारा न्यायालय में मुकदमा दर्ज किया गया है। अनावेदक ने बताया कि उसके पूर्व पत्नी के दो बच्चे है तथा आवेदिका का अनावेदक से एक पुत्र है। अनावेदक ने बताया कि 70 हजार रूपए मासिक वेतन मिलता हंै और यह भी स्वीकार किया कि न्यायालय से 1500 रूपए का भरण पोषण दिए जाने का तय हुआ है। आवेदिका को केवल 1 माह का भरण पोषण मिला है। आवेदिका को समझाईश दिया गया कि वह अनावेदक के कार्यालय में जाकर एक आवेदन प्रस्तुत करे और अनावेदक के सर्विस रिकार्ड में अपने बच्चे का नाम दर्ज कराए तथा कुटुम्ब न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत करें और अनावेदक के वेतन से लगभग 30 हजार रूपए मासिक भरण पोषण की पात्रता बनती है, वह सीधे उसे बैंक खाते में मिलने की मांग करें। इस समझाईश के साथ आयोग द्वारा प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में उच्च अधिकारी द्वारा बताया कि आवेदिका तथा अन्य श्रमिकों की अनावेदक की शिकायत थी, जांच में दोषी पाये जाने पर उसे निलंबित किया गया है। विभागीय जांच भी प्रकियाधीन है। ऐसी स्थिति आवेदिका भी प्रकरण समाप्त कराना चाहती है। आयोग द्वारा प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि समाजिक बहिष्कार की शिकायत की आड़ में आवेदिका को आंगनबाड़ी के प्रभार से बदला गया है। आवेदिका न्यायालय में जाना चाहती है। आयोग द्वारा प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति और अनावेदकगण के मध्य पूर्व में कई वाद-विवाद है, जिसमें अपराधिक होने के कारण आवेदिका द्वारा आयोग में शिकायत दर्ज करायी गयी है। अनावेदक की ओर से 2 पुलिस में 1 रेलवे में शासकीय नौकरी में है और प्रकरण आपसी रंजिस का प्रतीत होता है। आवेदिका द्वारा पुलिस से लगातार शिकायत दर्ज कराने के बाद भी शिकायत दर्ज नहीं किया गया। जिसके कारण उसे समझाईश दी गयी कि न्यायालय में परिवाद पत्र दाखिल कराये। इस निर्देश के साथ आयोग ने प्रकरण नस्तीबद्ध किया।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदिका ने बताया कि अतिथि व्याख्याता के लिए मातृत्व अवकाश का प्रावधान नहीं है। इस कारण आवेदिका ने उच्च न्यायालय में प्रकरण भी प्रस्तुत किया था, वह भी अब तक निराकृत हो गया है। आयोग द्वारा प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया की उसके पिता की मृत्यु 40 वर्ष पहले हो चुकी है। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक उसके सौतेले भाई हैं और सौतेले भाई ने उसके पिता की सारी संपत्ति हड़प लिए है। इस कारण आयोग में निर्देश दिए कि संपत्ति का बंटवारा न्यायालय द्वारा किया जायेगा। आयोग द्वारा प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में अनावेदक जानबूझकर अनुपस्थित है। आयोग द्वारा एसपी राजनांदगांव को कड़ा पत्र भेजा जाए कि थाना प्रभारी सीटी कोतवाली को कारण बताओ नोटिस जारी करें तथा अनावेदक को आगामी सुनवाई में उपस्थित रखें। थाना प्रभारी के खिलाफ शो कॉज नोटिस भेजा जाये कि अनावेदक को आगामी सुनवाई में आवश्यक रूप से उपस्थित रखे। इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्रीमती गुरप्रीत कौर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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