सांसद एवं कलेक्टर की उपस्थिति में पुलिस अधीक्षक ने नये कानूनों के संबंध में दी जानकारी…

www.khabarwala.news

schedule
2024-06-22 | 13:43h
update
2024-06-22 | 13:43h
person
khabarwala.news
domain
khabarwala.news
सांसद एवं कलेक्टर की उपस्थिति में पुलिस अधीक्षक ने नये कानूनों के संबंध में दी जानकारी…

raipur@khabarwala.news

  • नये कानून के संबंध में नागरिकों को होनी चाहिए जानकारी- पुलिस अधीक्षक
  • – 1 जुलाई 2024 से भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 होंगे प्रभावी
  • – प्रकरणों के निराकरण के लिए समय का किया गया निर्धारण
  • – सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पूरी प्रक्रिया को किया जाएगा डिजिटल
  • – ई-एफआईआर एवं जीरो-एफआईआर के संबंध में दी गई जानकारी

राजनांदगांव 22 जून 2024सांसद श्री संतोष पाण्डेय एवं कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल की उपस्थिति में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में 1 जुलाई 2024 को लागू होने वाले नये कानून के संबंध में जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को जानकारी दी गई। कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि 1 जुलाई 2024 से नये कानून लागू हो रहे हैं। इसके संबंध में अधिकारियों के साथ ही नागरिकों को जानकारी होना चाहिए। एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभावी होंगे। 

पुलिस अधीक्षक श्री मोहित गर्ग ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2024 से तीन नये कानून लागू होंगे। भारतीय दण्ड संहिता एवं कानून की दिशा में यह एक व्यापक परिवर्तन है। इन कानूनों के संबंध में अधिकारियों एवं नागरिकों को जानकारी होना चाहिए। नये कानून में आरोपियों के लिए नये प्रावधान किए गए हैं। सभी के लिए आवश्यक है कि स्वयं भी इन कानूनों को समझें तथा दूसरों को भी जागरूक करें। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2024 से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नये कानून के अंतर्गत घटना या अपराध पंजीबद्ध होगा। इसके अंतर्गत अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके। इसी तरह पुलिस एवं न्यायालय के लिए तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिंक रिपोर्ट समय पर देना होगा। इसमें पीडि़त पक्ष, आरोपी पक्ष सभी को फायदा होगा। सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। एफआईआर की प्रक्रिया, एफआईआर के निर्णय सभी डिजिटल फार्म में होंगे। सामाजिक-आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से सभी नागरिक अलग-अलग स्थानों में रहते हंै। ऐसी स्थिति में दस्तावेज डिजिटल होने से फायदा मिलेगा।

Advertisement

पुलिस अधीक्षक श्री मोहित गर्ग ने कहा कि ई-एफआईआर के लिए फोन, ई-मेल, व्हाट्सएप के माध्यम से अपराध घटित होने की सूचना दे सकते हंै। अब इसके लिए जवाबदेही तय हो जाएगी। प्रार्थी को संबंधित थाने में जाकर हस्ताक्षर कर एफआईआर दर्ज करानी होगी। थाना प्रभारी या विवेचक को जांच की जरूरत लगने पर एसडीओपी या सीएसपी की लिखित अनुमति के बाद जांच होगी। झूठी शिकायत से बचने के लिए तीन दिवस में पुलिस अधिकारी जांच करेंगे तथा गंभीर मुद्दा होने पर एफआईआर दर्ज होगी तथा विधिवत प्रकरण की विवेचना की जाएगी। यह महत्वपूर्ण है कि डिजिटल फार्म में शिकायतों को लेने से धीरे-धीरे विश्वसनीयता बढ़ेगी। उन्होंने जीरो-एफआईआर के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पहले प्रार्थी को संबंधित थाने में ही एफआईआर दर्ज करनी होती थी, लेकिन अब जीरो एफआईआर अंतर्गत प्रार्थी को बड़ी सुविधा प्रदान की गई है और किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज की जा सकती है। जांच करने के लिए एसडीओपी एवं सीएसपी लिखित में जांच करने के निर्देश देंगे। 14 दिवस में इसका निराकरण करना होगा। ज्यादातर अपराधों में समय पर चालान पेश होते हैं। उन्होंने बताया कि 90 दिवस से ज्यादा होने पर विवेचक को इसके संबंध में कारण बताना होगा और विवेचक की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में टाईम फ्रेम किया गया है, जो महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि आईपीसी अंतर्गत पहले बच्चियों से संबंधित था, जिसे अब बालक एवं बालिकाओं के लिए किया गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नये कानून के अंतर्गत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए भी समय का निर्धारण किया गया है। उन्होंने बताया कि अर्थदण्ड में परिवर्तन करते हुए वृद्धि की गई है, जो कि प्रासंगिक एवं सामयिक है। इसके साथ ही अपराधियों के लिए सामाजिक सेवा की बात की गई है। उन्होंने बताया कि सुपारी किलर एवं जघन्य अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए नया अपराध पंजीबद्ध किया जा सकता है, बशर्ते कि पहले से उनके दो चालान न्यायालय में पंजीबद्ध हो। उन्होंने बताया कि नये कानून में राजद्रोह हटा दिया गया है, इसके स्थान पर देश की अखण्डता एवं अक्षुण्यता के खिलाफ कोई कार्य करने पर कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया हंै। नये टेक्नोलाजी को अपनाने से कार्य सुगम होंगे तथा अपराधियों को समय पर दण्ड मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि फॉरेंसिंक टीम एवं साक्ष्य से संबंधित प्रावधान महत्वपूर्ण है। बच्चों एवं महिलाओं के खिलाफ आरोप होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, इसे गंभीरता से लिया गया है। बच्चों से अपराधिक गतिविधि कराने पर दुगुनी सजा का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने वालों पर अधिक दण्ड का प्रावधान किया गया है। देश के बाहर भाग जाने वाले अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि भारतीय दण्ड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 को अधिसूचित किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता की 511 धाराओं के स्थान पर अब 358 धाराएं है तथा 23 अध्याय के स्थान पर 20 अध्याय हैं। भारतीय न्याय संहिता 2023 अंतर्गत संशोधन करते हुए 190 से अधिक छोटे एवं बड़े बदलाव किए गए हैं। 41 अपराधों में सजा बढ़ाई गई है। 83 अपराधों में अर्थदण्ड की सजा बढ़ाई गई है। कुल 33 अपराधों में कारावासों की सजा बढ़ाई गई है। वही 6 अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा लायी गई है। भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत सामुदायिक सेवा को भी दण्ड के प्रकार के रूप में शामिल किया गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 अंतर्गत दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 को अधिसूचित किया गया है। दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की 484 धाराओं के स्थान पर अब 531 धाराएं हैं तथा 37 अध्याय के स्थान पर 39 अध्याय है। इसके अंतर्गत 360 से अधिक बड़े एवं छोटे बदलाव पेश किए गए है। 9 अनुभाग जोड़े गए हैं। कुल 39 नये उप अनुभाग जोड़े गए हैं तथा कुल 49 प्रावधान स्पष्टिकरण जोड़े गए है। 39 स्थानों पर ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रानिक माध्यम शुरू किए गए है। 45 प्रावधानों में समय सीमा का उल्लेख किया गया है तथा पुरानी प्रक्रिया संहिता के कुल 15 प्रावधान हटाए गए हंै। इसके अंतर्गत 3 वर्ष से कम के अपराध में तथा 60 वर्ष से ज्यादा के अपराधी की वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की पुर्वानुमति से गिरफ्तारी की शुरूआत की गई है। 15 वर्ष से कम या 60 वर्ष से अधिक अथवा मानसिक एवं शारीरिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों को थाने में नहीं बुलाया जा सकेगा।

भारतीय साक्ष्य अधिनिमय 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अधिसूचित किया गया है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की 167 धाराओं के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 170 धारायें है एवं 11 अध्याय के स्थान पर 12 अध्याय है। इसके अंतर्गत 45 से अधिक बड़े और छोटे बदलाव किए गए है। कुल 24 प्रावधानों में संशोधन किए गए है। कुल 2 नयी धाराएं और 10 नयी उपधाराएं जोड़ी गई हैं। कुल 5 नये स्पष्टीकरण जोड़े गए है। कुल 1 नया प्रावधान जोड़ा गया है। कुल 11 धाराएं और उपराधाएं हटा दी गई हंै। कुल 5 स्पष्टीकरण हटा दिये गए हैं। एक दृष्टांत हटा दिया गया है। एक अनुसूची जोड़ी गई है। इस अवसर पर विधायक खुज्जी श्री भोलाराम साहू, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री गीता घासी साहू, वनमंडलाधिकारी श्री आयुष जैन, अपर कलेक्टर श्री सीएल मारकण्डेय, अपर कलेक्टर श्रीमती इंदिरा नवीन प्रताप सिंह तोमर, डिप्टी कलेक्टर श्री अमीय श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

Advertisement

Imprint
Responsible for the content:
khabarwala.news
Privacy & Terms of Use:
khabarwala.news
Mobile website via:
WordPress AMP Plugin
Last AMPHTML update:
22.06.2024 - 14:07:32
Privacy-Data & cookie usage: