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धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विशेष रूप से आराधना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में दो एकादशी व्रत आते हैं। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, निर्जला एकादशी व्रत काफी ज्यादा कठिन होता है और इस दौरान अन्न व जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस कठिन व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
जानें कब है निर्जला एकादशी
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून को सुबह 4.43 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 18 जून को सुबह 6.24 बजे पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को रखा जाना ही उचित होगा।
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
निर्जला एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और व्रत का संकल्प लें।
स्नान कर पीले रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि ये रंग भगवान विष्णु को पसंद है।
मंदिर की सफाई के बाद चौकी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, फल, हल्दी, अक्षत, चंदन, खीर आदि अर्पित करें।
मां लक्ष्मी को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।
दीपक जलाकर आरती करें और मंत्र जाप के साथ विष्णु चालीसा का पाठ करें।
एकादशी व्रत कथा का पाठ करें और मिठाई और केले का भोग चढाएं।
अपनी आस्था के अनुसार, गरीबों भोजन, कपड़े और धन का दान करें।
निर्जला एकादशी के दिन अन्न व जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।