धान की फसल के स्थान पर गेहूं, मक्का, रागी एवं लघुधान्य फसलों को बढ़ावा देने किसानों को करें प्रेरित…

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धान की फसल के स्थान पर गेहूं, मक्का, रागी एवं लघुधान्य फसलों को बढ़ावा देने किसानों को करें प्रेरित…

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राजनांदगांव 07 मई 2024।कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने फसल विविधीकरण के लिए कार्ययोजना बनाकर किसानों को जानकारी देने कहा। उन्होंने कहा कि रबी फसलों में धान की फसल के स्थान पर गेहूं, मक्का, रागी एवं लघुधान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित करें। जिससे ग्रीष्मकाल में वाटर लेवल बना रहे। वर्तमान में सतही एवं भूमिगत जल का घटता हुआ जल स्तर एक गंभीर समस्या है। जिले की कृषि में प्रमुख फसल धान है, जिसके लिये सर्वाधिक जल की आवश्यकता होती है। वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार 1 किलो ग्राम चावल उत्पादन हेतु औसत 1432 लीटर जल की आवश्यकता होती है। फसलों में जल मांग के अनुसार धान में 140-150 सेमी हाईब्रिड मक्का को 50-60 सेमी, दलहन फसलों को 25-30 सेमी, सोयाबीन को 60-70 सेमी, तिल को 30 से 36 सेमी, गेहूं को 45-50 सेमी एवं गन्ना को 180-200 सेमी की आवश्यकता होती है। घटते हुए भूमिगत जल का प्रमुख कारण नलकूपों के माध्यम से अन्धाधुंध दोहन एवं सर्वाधिक जल आवश्यकता वाले धान की फसल है। जिले में कुल 29380 नलकूपों द्वारा फसलों की सिंचाई की जाती है। कलेक्टर के निर्देश पर भूमि की स्थलाकृति, प्रकार, संस्थापना को ध्यान में रखते हुए फसल चक्र परिवर्तन, फसल विविधीकरण के माध्यम से जल संरक्षण के प्रयास किये जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आगामी खरीफ फसल में धान की खेती के 176044 में से 171110 हेक्टेयर (4934 हेक्टेयर कम) कम जल आवश्यकता वाले फसलें मक्का, लघुधान्य-रागी, कोदो, कुटकी एवं दलहन, तिलहनी फसलों की कार्ययोजना तैयार की गई है। इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिये आवश्यक आदान सामग्री बीज, उर्वरक, जैव उर्वरक, पौध सरंक्षण औषधि एवं कृषि यंत्रों की व्यवस्था की जा रही है।

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उप संचालक कृषि श्री नागेश्वर लाल पाण्डे ने बताया कि कृषि अर्थव्यवस्था पर आधारित राजनांदगांव जिले में खरीफ वर्ष 2023 में 181234 हेक्टेयर एवं रबी वर्ष 2023-24 में 82800 हेक्टेयर कुल 264034 हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों की खेती की जाती है। जिले की फसल सघनता 146 प्रतिशत है। वर्तमान रबी वर्ष में अनाज फसलों में गेहूं, मक्का, रागी एवं ग्रीष्मकालीन धान की कुल 18477 हेक्टेयर, दलहन फसलों में चना, मटर, मसूर, मूंग, उड़द एवं तिवरा फसलें की 64.781 हेक्टेयर, तिलहन फसलों की 1586 हेक्टेयर में से राई, सरसों, अलसी एवं कुसुम फसल तथा गन्ना व शाकसब्जियों की 4055 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की गई है। खरीफ वर्ष 2023 में अनाज फसलों में धान, मक्का, कोदो, कुटकी, रागी की 176855 हेक्टेयर, दलहन फसलों में अरहर, मूंग, उड़द की 962 हेक्टेयर, तिलहन फसलों में सोयाबीन, तिल की 2205 हेक्टेयर, हरी सब्जी एवं अन्य फसलों की 2482 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की गई थी।

जिले में खरीफ सिंचित फसलों का क्षेत्रफल 85844 हेक्टेयर 46.96 प्रतिशत एवं रबी में 32810 हेक्टेयर 36.9 प्रतिशत है। स्त्रोतवार सिंचित क्षेत्र के अनुसार नहरों से 45810 हेक्टेयर, तालाबों से 425, नलकूपों से 60440, कुंओं से 3777 एवं अन्य साधनों से 8202 हेक्टेयर सिंचाई की जाती है। जिले की सामान्य वर्षा 1194 मि.मी. है। वर्ष 2019-20 में 932.7 मि.मी., 2020-21 में 964.1 मि.मी., वर्ष 2021-22 में 1015.6 मि.मी., 2022-23 में 1412.1 मि.मी., 2023-24 में 1163 मि.मी. वर्षा हुई थी।

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