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देश के दो सबसे पॉपुलर और बड़े मसाला ब्रांड एवरेस्ट और एमडीएच के कुछ मसालों पर हांगकांग एवं सिंगापुर में बैन लग गया है. इन कंपनियों के कुछ मसाला मिक्स में एथिलीन ऑक्साइड जैसा कीटनाशक मिलने का दावा किया गया है. इसके बाद भारत में भी फूड सेफ्टी को लेकर नई बहस छिड़ गई है. इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत से यूरोप एक्सपोर्ट की जाने वाली 500 से ज्यादा वस्तुओं में एथिलीन ऑक्साइड पाया गया है. आखिर क्या है ये पूरा मामला…
एथिलीन ऑक्साइड को खेती में उत्पादों को फंगस से बचाने के लिए उपयोग किया जाता है. दुनिया के कई देशों में इस पर बैन लगाया गया है क्योंकि माना जाता है कि ये इंसान के शरीर में कैंसर का कारण बनता है. यूरोपीय यूनियन ने 1991 में एथिलीन ऑक्साइड को बैन की श्रेणी में डाल दिया था, लेकिन समय के साथ इंपोर्ट बढ़ने पर इसे लेकर कड़ी जांच की व्यवस्था बनाई गई. अब यूरोपीय यूनियन की ही एक रिपोर्ट में इसे लेकर बड़े खुलासे हुए हैं.
बादाम से अश्वगंधा तक में मिला एथिलीन ऑक्साइड
यूरोपीय यूनियन की फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने सितंबर 2020 से अप्रैल 2024 के बीच भारत से इंपोर्ट किए जाने वाले फूड आइटम्स की जांच की और 527 प्रोडक्ट्स में कार्सिनोजेनिक एथिलीन ऑक्साइड पाया गया. इससे पहले 2020-21 में भी यूरोपीय यूनियन भारत समेत कई अन्य देशों से इंपोर्ट की गई 468 वस्तुओं में एथिलीन ऑक्साइड होने की जानकारी दी थी.
यूरोपीय यूनियन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत से मंगाए गए 527 फूड प्रोडक्ट्स में से 313 ड्राई फ्रूट्स और तिल से बने आइटम्स, 60 तरह की जड़ी-बूटियों और मसाले, 48 डायट्री फूड और सप्लीमेंट आइटम्स और बाकी 34 अन्य प्रोडक्ट्स में भी कैंसर पैदा करने वाले केमिकल मिले हैं. इनमें से तिल, काली मिर्च और अश्वगंधा जैसी वे वस्तुएं भी शामिल हैं जिन पर ‘ऑर्गेनिक’ का लेबल लगा हुआ था.
वहीं कुछ फूड प्रोडक्ट्स ऐसे भी हैं जिनसे इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने का दावा किया जाता है. इनके अलावा कई प्रोडक्ट ऐसे हैं जो अनाज, फल और सब्जियां, सूप, आइसक्रीम और मीट की श्रेणी में भी आते हैं. इनमें भी एथिलीन ऑक्साइड पाया गया है. एथिलीन ऑक्साइड पाए जाने के बाद यूरोपियन यूनियन ने 87 प्रोडक्ट्स को बॉर्डर पर ही रिजेक्ट कर दिया. बाकी को वहां के बाजारों से हटा दिया गया.
भारत सरकार ने मांगी डिटेल्ड रिपोर्ट
हांगकांग और सिंगापुर में भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों पर बैन लगने के बाद अब भारत सरकार ने फूड रेग्युलेटर FSSAI से डिटेल्ड रिपोर्ट मांगी है. वहीं देश में मौजूद मसालों की जांच का जिम्मा सौंपा है. भारत में मसालों के एक्सपोर्ट को भारतीय मसाला बोर्ड हैंडल करता है. सरकार ने बोर्ड से सिंगापुर और हांगकांग एक्सपोर्ट होने वाले सभी मसालों का क्वॉलिटी टेस्ट भी अनिवार्य कर दिया है. सरकार का कहना है कि अगर रिपोर्ट में मसालों की क्वॉलिटी खराब पाई गई तो इन ब्रांड्स के एक्सपोर्ट पर बैन भी लग सकता है.
भारत सबसे बड़ा मसाला एक्सपोर्टर
भारत दुनियाभर में मसालों का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर और एक्सपोर्टर है. यहां से हर साल 14-15 लाख टन मसालों का एक्सपोर्ट होता है. ये टोटल कारोबार करीब 3-4 अरब डॉलर का है. ऐसे में ग्लोबल मार्केट में भारतीय मसालों की क्वॉलिटी पर उठे सवालों से इनका एक्सपोर्ट प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. भारत से सबसे ज्यादा चीन, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल और इंडोनेशिया को मसालों का एक्सपोर्ट किया जाता है. वहीं यूरोप में ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और स्पेन भारतीय मसालों के बड़े कस्टमर हैं.
एक्सपोर्ट होने वाले मसालों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी लाल मिर्च, हल्दी, जीरा, धनिया, करी पाउडर, लहसुन, मेथी दाना और अदरक की है. इसी तरह ड्राइ फ्रूट्स में ज्यादातर एक्सपोर्ट अखरोट, काजू और किशमिश का होता है. वित्त वर्ष 2023-24 में जनवरी तक देश से 39,244 टन किशमिश, 60,222 टन काजू औ करीब 450 टन अखरोट का एक्सपोर्ट हुआ है.