आईएमडी ने बताया इस बार कितनी होगी बारिश,मानसून को लेकर आईएमडी ने दी नई जानकारी ।

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नई दिल्ली।  मौसम विभाग ने मानसून को लेकर नया अपडेट जारी कर दिया है। आईएमडी ने सोमवार को कहा कि भारत में 2024 के मानसून सीजन में बादल खूब बरसेंगे। इस बार सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है और अगस्त-सितंबर तक ला नीना की स्थिति बनने की उम्मीद है।

कितनी होगा बारिश?

मौसम विभाग ने कहा कि इस बार लू से राहत मिलेगी। भारत में चार महीने के मानसून सीजन जून से सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है, जो कि औसतन 87 सेमी यानी 106 प्रतिशत होने का अनुमान है।

क्यों सूखा और बाढ़ की स्थिति बढ़ रही?

जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश के दिनों की संख्या घट रही है, जबकि भारी बारिश की घटनाएं (थोड़ी अवधि में अधिक बारिश) बढ़ रही हैं, जिससे बार-बार सूखा और बाढ़ आ रही है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1951-2023 के बीच के आंकड़ों के आधार पर, भारत में मानसून के मौसम में नौ मौकों पर सामान्य से अधिक बारिश हुई, जब ला नीना के बाद अल नीनो घटना हुई।

क्यों होगी ज्यादा बारिश?

मौसम विभाग की मानें तो इस बार अल नीनो के कमजोर पड़ने के बाद मानसून सीजन में ला-नीना का प्रभाव बढ़ेगा। इसका असर ये होगा कि देश में सामान्य से अधिक बारिश होगी।

यहां होगी कम बारिश

आईएमडी के वैज्ञानिकों ने कहा कि इस बार अधिकांश इलाकों में सामान्य बारिश होगी, लेकिन उत्तर पश्चिमी राज्यों में इससे उलट हो सकता है। मौसम विभाग ने कहा कि गुजरात, राजस्थान, पंजाब, ओडिशा, बंगाल और जम्मू-कश्मीर के साथ पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की जा सकती है।

कब आता है अल नीनो?

अल नीनो स्थिति मध्य प्रशांत महासागर में सतही जल का समय-समय पर गर्म होने पर होती है, जो भारत में कमजोर मानसूनी हवाओं और शुष्क परिस्थितियों से जुड़ी हैं।

 

मानसून सीजन की तीन पैमानों पर होती है भविष्यवाणी

मौसम वैज्ञानियों के अनुसार, मानसून सीजन की बारिश की भविष्यवाणी के लिए तीन बड़े पैमाने की जलवायु घटनाओं पर विचार किया जाता है।

 

पहला अल नीनो है, दूसरा हिंद महासागर डिपोल (आईओडी) है, जो भूमध्यरेखीय हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों के अलग-अलग तापमान के कारण होता है और तीसरा उत्तरी हिमालय और यूरेशियाई भूभाग पर बर्फ की स्थिति पर आधारित है। इन सबका भारत के मौसम पर असर पड़ता है।

 

 

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