इस बार हनुमान जयंती इस दिन पड़ रही है , जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि… – www.khabarwala.news

इस बार हनुमान जयंती इस दिन पड़ रही है , जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

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इस बार हनुमान जयंती इस दिन पड़ रही है , जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
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  • पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल 2024 को सुबह 3:25 बजे शुरू होगी।
  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
  • पूजा के दौरान हनुमान जी के मंत्रों का जाप भी जरूर करें।

 इंदौर।  देशभर में हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है और उनके निमित्त व्रत किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से बजरंगबली प्रसन्न होकर, भक्त पर अपनी कृपा बरसाते हैं। साथ ही साधक की सभी परेशानियां दूर होती है। आइए, जानते हैं कि हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है।

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हनुमान जयंती शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल 2024 को सुबह 3:25 बजे शुरू होगी। यह अगले दिन 24 अप्रैल 2024 को सुबह 05:18 बजे समाप्त होगी। ऐसे में हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने के लिए सुबह 3 बजकर 25 मिनट से सुबह 5 बजकर 18 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा।

हनुमान जयंती पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को जल चढ़ाएं।

मंदिर को साफ करें और बजरंगबली की मूर्ति स्थापित करें।

अब उन्हें फूल, लाल चोला, लाल सिन्दूर और अगरबत्ती आदि अर्पित करें।

देसी घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी की आरती करें।

इसके बाद हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।

हनुमान जयंती पर पूजा के दौरान हनुमान जी के मंत्रों का जाप भी करें।

हनुमान जी को लड्डू, जलेबी, फल और मिठाई आदि चीजों का भोग लगाएं।

अंत में प्रसाद को लोगों में बांट दें और खुद भी ग्रहण करें।

हनुमान मंत्र

1. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा!

 

2. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय

 

प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

 

3. मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।

 

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

 

4. मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर |

 

यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे ||

 

 

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