कलयुग के श्रवण कुमार ने अपनी मां के लिए बनवाई जांघ की चमड़ी से चप्पल

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उज्जैन: कलयुग में जहां एक ओर बेटे अपनी खुशियों के लिए मां-बाप को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर देते हैं। वहीं कुछ उन्हें वृद्धा आश्रम में भी छोड़ आते हैं। उज्जैन में कलयुग के एक श्रवण कुमार हैं, जिनकी सुबह की शुरुआत रामायण से होती है। रामायण से शुरुआत ही नहीं बल्कि वह इसे जीवन में आत्मसात भी करते हैं। ढांचा भवन क्षेत्र में रहने वाले एक युवक ने अपनी मां से अगाध प्रेम होने के कारण कुछ समय पूर्व लिए गए अनूठे संकल्प को पूरा किया। उन्होंने अपनी मां के लिए जांघ की चमड़ी से चप्पल बनवाई है।

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जांघ की चमड़ी से बनवाई चप्पल

दरअसल, ढांचा भवन क्षेत्र में रहने वाले रौनक गुर्जर जो हर दिन रामायण पाठ करते हैं। उन्हें रामायण पढ़ते हुए ऐसी प्रेरणा मिली कि उन्होंने यह संकल्प लिया कि वह अपनी चमड़ी से मां के लिए चप्पल बनवाएंगे। रौनक गुर्जर ने इस संकल्प को किसी को भी नहीं बताया। बीते दिनों उन्होंने एक सर्जरी के बाद अपनी जांघ से चमड़ी निकलवाई। उसी चमड़ी से मां के लिए चरण पादुका बनवाई और उन्हें भेंट कर दी।

लोगों के बहने लगे आंसू

वहीं, जब बेटे रौनक गुर्जर ने मां को सबकी उपस्थिति में यह चप्पल बनाई तो वहां मौजूद सभी लोगों के आंसू बहने लगे। यही नहीं, मां भी बेटे से लिपटकर रोने लगी। मां का नाम निरूला गुर्जर है। मां के प्रति बेटे का यह प्यार देखकर लोग भाव विभोर हो गए थे।

श्रीमद् भागवत कथा के दौरान पहनाई चरण पादुका

सांदीपनि नगर ढांचा भवन पुरानी टंकी के पास अखाड़ा ग्राउंड परिसर में इन दिनों सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथावाचक अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक गुरु जितेंद्र महाराज के मार्गदर्शन में धार्मिक आयोजन संपन्न किया जा रहा है। इसी भागवत कथा के दौरान रौनक गुर्जर ने अपना संकल्प पूरा करते हुए मां के चरणों में अपनी चमड़ी से बनी चरण पादुका पहनाई।

मां को भी नहीं थी रौनक के संकल्प की जानकारी

रौनक गुर्जर की माता निरूला गुर्जर ने बताया कि मुझे बेटे के द्वारा लिए गए ऐसे संकल्प की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं, हर मां को रौनक जैसा बेटा मिले। भगवान उसे हर मुसीबत से बचाए और उसके हर दुख मेरी झोली में आ जाए, भगवान उसके जीवन में कभी कोई दुख ना दें।

 

 

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